गुरुवार, 27 अगस्त 2015

पूजा तो सब करते हैं परन्तु यदि इन नियमों को ध्यान में रखा जाये तो उसी पूजा पथ का हम फल प्राप्त कर सकते हैं

पूजा तो सब करते हैं परन्तु यदि इन नियमों को ध्यान में रखा जाये तो उसी पूजा पथ का हम फल प्राप्त कर सकते हैं.वे नियम कुछ इस प्रकार हैं.

1 सूर्य, गणेश,दुर्गा,शिव एवं विष्णु ये पांच देव कहलाते हैं. इनकी पूजा सभी कार्यों में गृहस्थ आश्रम में नित्य होनी चाहिए. इससे धन,लक्ष्मी और सुख प्राप्त होता है.
2 गणेश जी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए.
3 दुर्गा जी को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए.
4 सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए.
5 तुलसी का पत्ता बिना स्नान किये नहीं तोडना चाहिए. जो लोग बिना स्नान किये तोड़ते हैं,उनके तुलसी पत्रों को भगवान स्वीकार नहीं करते हैं.
6 रविवार,एकादशी,द्वादशी ,संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए
7 दूर्वा( एक प्रकार की घास) रविवार को नहीं तोड़नी चाहिए.
8 केतकी का फूल शंकर जी को नहीं चढ़ाना चाहिए.
९ कमल का फूल पाँच रात्रि तक उसमें जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं.
10 बिल्व पत्र दस रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं
11 तुलसी की पत्ती को ग्यारह रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं.
12 हाथों में रख कर हाथों से फूल नहीं चढ़ाना चाहिए.
13 तांबे के पात्र में चंदन नहीं रखना चाहिए.
14 दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए जो दीपक से दीपक जलते हैं वो रोगी होते हैं.
15 पतला चंदन देवताओं को नहीं चढ़ाना चाहिए.
16 प्रतिदिन की पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए. दक्षिणा में अपने दोष,दुर्गुणों को छोड़ने का संकल्प लें, अवश्य सफलता मिलेगी और मनोकामना पूर्ण होगी.
17 चर्मपात्र या प्लास्टिक पात्र में गंगाजल नहीं रखना चाहिए.
18 स्त्रियों और शूद्रों को शंख नहीं बजाना चाहिए यदि वे बजाते हैं तो लक्ष्मी वहां से चली जाती है.
19 देवी देवताओं का पूजन दिन में पांच बार करना चाहिए. सुबह 5 से 6 बजे तक ब्रह्म बेला में प्रथम पूजन और आरती होनी चाहिए. प्रात:9 से 10 बजे तक दिवितीय पूजन और आरती होनी चाहिए,मध्याह्र में तीसरा पूजन और आरती,फिर शयन करा देना चाहिए शाम को चार से पांच बजे तक चौथा पूजन और आरती होना चाहिए,रात्रि में 8 से 9 बजे तक पाँचवाँ पूजन और आरती,फिर शयन करा देना चाहिए.
20 आरती करने वालों को प्रथम चरणों की चार बार,नाभि की दो बार और मुख की एक या तीन बार और समस्त अंगों की सात बार आरती करनी चाहिए
21 पूजा हमेशा पूर्व या उतर की ओर मुँह करके करनी चाहिए, हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में करें
22 पूजा जमीन पर ऊनी आसन पर बैठकर ही करनी चाहिए, पूजागृह में सुबह एवं शाम को दीपक,एक घी का और एक तेल का रखें.
23 पूजा अर्चना होने के बाद उसी जगह पर खड़े होकर 3 परिक्रमाएँ करें.
24 पूजाघर में मूर्तियाँ 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच तक की होनी चाहिए, इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेश जी,सरस्वतीजी ,लक्ष्मीजी, की मूर्तियाँ घर में नहीं होनी चाहिए.
25 गणेश या देवी की प्रतिमा तीन तीन, शिवलिंग दो,शालिग्राम दो,सूर्य प्रतिमा दो,गोमती चक्र दो की संख्या में कदापि न रखें.अपने मंदिर में सिर्फ प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें उपहार,काँच, लकड़ी एवं फायबर की मूर्तियां न रखें एवं खण्डित, जलीकटी फोटो और टूटा काँच तुरंत हटा दें, यह अमंगलकारक है एवं इनसे विपतियों का आगमन होता है.
26 मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि भी न रखें मंदिर में पर्दा अति आवश्यक है अपने पूज्य माता --पिता तथा पित्रों का फोटो मंदिर में कदापि न रखें,उन्हें घर के नैऋत्य कोण में स्थापित करें .
27 विष्णु की चार, गणेश की तीन,सूर्य की सात, दुर्गा की एक एवं शिव की आधी परिक्रमा कर सकते हैं
28 प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में कलश स्थापित करना चाहिए कलश जल से पूर्ण, श्रीफल से युक्त विधिपूर्वक स्थापित करें यदि आपके घर में श्रीफल कलश उग जाता है तो वहाँ सुख एवं समृद्धि के साथ स्वयं लक्ष्मी जी नारायण के साथ निवास करती हैं तुलसी का पूजन भी आवश्यक है
29 मकड़ी के जाले एवं दीमक से घर को सर्वदा बचावें अन्यथा घर में भयंकर हानि हो सकती है
30 घर में झाड़ू कभी खड़ा कर के न रखें झाड़ू लांघना, पाँवसे कुचलना भी दरिद्रता को निमंत्रण देना है दो झाड़ू को भी एक ही स्थान में न रखें इससे शत्रु बढ़ते हैं
31 घर में किसी परिस्थिति में जूठे बर्तन न रखें. क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि रात में लक्ष्मीजी घर का निरीक्षण करती हैं यदि जूठे बर्तन रखने ही हो तो किसी बड़े बर्तन में उन बर्तनों को रख कर उनमें पानी भर दें और ऊपर से ढक दें तो दोष निवारण हो जायेगा
32 कपूर का एक छोटा सा टुकड़ा घर में नित्य अवश्य जलाना चाहिए,जिससे वातावरण अधिकाधिक शुद्ध हो: वातावरण में धनात्मक ऊर्जा बढ़े.
33 घर में नित्य घी का दीपक जलावें और सुखी रहें
34 घर में नित्य गोमूत्र युक्त जल से पोंछा लगाने से घर में वास्तुदोष समाप्त होते हैं तथा दुरात्माएँ हावी नहीं होती हैं
35 सेंधा नमक घर में रखने से सुख श्री(लक्ष्मी) की वृद्धि होती है
36 रोज पीपल वृक्ष के स्पर्श से शरीर में रोग प्रतिरोधकता में वृद्धि होती है
37 साबुत धनिया,हल्दी की पांच गांठें,11 कमलगट्टे तथा साबुत नमक एक थैली में रख कर तिजोरी में रखने से बरकत होती है श्री (लक्ष्मी) व समृद्धि बढ़ती है.
38 दक्षिणावर्त शंख जिस घर में होता है,उसमे साक्षात लक्ष्मी एवं शांति का वास होता है वहाँ मंगल ही मंगल होते हैं पूजा स्थान पर दो शंख नहीं होने चाहिएँ.
39 घर में यदा कदा केसर के छींटे देते रहने से वहां धनात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है पतला घोल बनाकर आम्र पत्र अथवा पान के पते की सहायता से केसर के छींटे लगाने चाहिएँ.
40 एक मोती शंख,पाँच गोमती चक्र, तीन हकीक पत्थर,एक ताम्र सिक्का व थोड़ी सी नागकेसर एक थैली में भरकर घर में रखें श्री (लक्ष्मी) की वृद्धि होगी.
41 आचमन करके जूठे हाथ सिर के पृष्ठ भाग में कदापि न पोंछें,इस भाग में अत्यंत महत्वपूर्ण कोशिकाएँ होती हैं.
42 घर में पूजा पाठ व मांगलिक पर्व में सिर पर टोपी व पगड़ी पहननी चाहिए,रुमाल विशेष कर सफेद रुमाल शुभ नहीं माना जाता है.

सुनील भगत 

शनिवार, 8 अगस्त 2015

गलतफहमी----> हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं. ??

   
लोगों को इस बात की बहुत बड़ी गलतफहमी है कि...... हिन्दू सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं...!
लेकिन ऐसा है नहीं..... औरसच्चाई इसके बिलकुल ही विपरीत है...!

दरअसल.... हमारे वेदों में उल्लेख है .... 33""कोटि"" देवी-देवता..!
अब ""कोटि"" का अर्थ""प्रकार"" भी होता है.. और ............ ""करोड़"" भी...!

तो... मूर्खों ने उसे हिंदी में.... करोड़ पढना शुरू कर दिया...... जबकि वेदों का तात्पर्य ..... 33 कोटि... अर्थात ..... 33 प्रकार के देवी-देवताओं से है...(उच्च कोटि.. निम्न कोटि..... इत्यादि शब्दतो आपने सुना ही होगा.... जिसका अर्थ भीकरोड़ ना होकर..प्रकार होता है)

ये एक ऐसी भूल है.... जिसने वेदों में लिखे पूरे अर्थ को ही परिवर्तित कर दिया....!
इसे आप इस निम्नलिखित उदहारण से और अच्छी तरह समझ सकते हैं....!
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अगर कोई कहता है कि......बच्चों को""कमरे में बंद रखा"" गया है...!
और दूसरा इसी वाक्य की मात्रा को बदल कर बोले कि...... बच्चों को कमरे में "" बंदर खा गया"" है.....!! (बंद रखाबंदर खा)
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कुछ ऐसी ही भूल ..... अनुवादकों से हुई ..... अथवा... दुश्मनों द्वारा जानबूझ कर दिया गया.... ताकिइसे HIGHLIGHT किया जासके..!

सिर्फ इतना ही नहीं....हमारे धार्मिक ग्रंथों में साफ-साफउल्लेख है कि....""निरंजनो निराकारो..एको देवो महेश्वरः""..... ........ अर्थात....इस ब्रह्माण्ड में सिर्फ एक ही देव हैं... जो निरंजन...निराका महादेव हैं...!
साथ ही... यहाँ एक बात ध्यान में रखने योग्य बात है कि..... हिन्दू सनातन धर्म..... मानव की उत्पत्तिके साथ ही बना है..... औरप्राकृतिक है...... इसीलिए ... हमारे धर्ममें प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर जीना बताया गया है...... औरप्रकृति को भी भगवान कीउपाधि दी गयी है..... ताकि लोगप्रकृति के साथ खिलवाड़ ना करें....!
जैसे कि....

@@ गंगा को देवी माना जाता है...... क्योंकि ... गंगाजल में सैकड़ों प्रकार की हिमालय की औषधियां घुली होती हैं..!

@@ गाय को माता कहा जाता है ... क्योंकि .... गाय का दूध अमृततुल्य ... औरउनका गोबर... एवंगौ मूत्र में विभिन्न प्रकार की...औषधीय गुण पाए जाते हैं...!

@@ तुलसी के पौधे को भगवान इसीलिए माना जाता है कि.... तुलसी के पौधे के हर भाग में विभिन्न औषधीय गुण हैं...!

@@ इसी तरह ... वट और बरगद के वृक्ष घने होने के कारण ज्यादाऑक्सीजन देते हैं.... औरथके हुए राहगीर को छाया भी प्रदान करतेहैं...!

यही कारण है कि.... हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों में ..... प्रकृति पूजा को प्राथमिकता दी गयी है.....क्योंकिप्रकृति से ही मनुष्य जाति है.... नाकि मनुष्य जाति से प्रकृति है..!
अतः.... प्रकृति को धर्म से जोड़ा जाना और उनकी पूजा करना सर्वथा उपर्युक्त है.... !
यही कारण है कि........ हमारे धर्म ग्रंथों में.... सूर्यचन्द्र...वरुण.... वायु.. अग्नि को भी देवता माना गया है.... औरइसी प्रकार..... कुल33 प्रकार के देवी देवता हैं...!
इसीलिएआपलोग बिलकुल भी भ्रम में ना रहें...... क्योंकि... ब्रह्माण्ड में सिर्फ एक ही देव हैं... जो निरंजन...निराका  महादेव हैं...! —

.अतः कुल 33 प्रकार के देवता हैं......

12 आदित्य है ----->धाता,मित्अर्यमा,शक्र,वरुण,अंश,भग , विवस्वान,पूषा,सविता,त्वष्टा,एवं विष्णु..!

वसु हैं......धर,ध्रुव,सोम,अह,अनिल,अनल,प्रत्युष,एवं.,प्रभाष

11 रूद्र हैं...हर ,बहुरूप.त्र्यम्बक.अपराजिता.वृषाकपि .शम्भू.कपर्दी..रेवत ..म्रग्व्यध.शर्व..तथा.कपाली.

अश्विनी कुमार हैं.....

कुल................12 +8 +11 +2 =33

सुनील भगत……