शनिवार, 19 सितंबर 2015

अनाहत नाद क्या हैं और इसको कैसे सुना जाये ?

प्रश्न :- अनाहत नाद क्या हैं और इसको कैसे सुना जाये ?
उत्तर :- अनाहत नाद न ॐकार है, न मंत्र है, न बीज है, न अक्षर है, ये अंतरिक्ष में सदा से ही विधमान हैं जो बिना बजाये उत्पन्न होने वाला शब्द है।
अनहद नाद शुरुवात में सुनने का उपाय > एकांत में ध्वनिरहित, अंधकारयुक्त, स्थान पर बैठें। तर्जनी अंगुली से दोनों कानों को बंद करें, आँखें बंद रखें कुछ ही दिनों के अभ्यास से अग्नि प्रेरित शब्द सुनाई देगा इसे शब्द-ब्रह्म कहते हैं, यह शब्द या ध्वनि या अनाहत नाद हैं, इसको सुनने का अभ्यास करना है।
यह नौ प्रकार की होती है

१. घोष नाद :- यह आत्मशुद्धि करता है, शरीर भाव को धीरे धीरे नस्ट कर के व मन को वशीभूत करके अपनी और खींचता है।

२. कांस्य नाद :- यह नाद जड़ भाव नस्ट कर के चेतन भाव की तरफ साधक को लेजाता हैं।

३. श्रृंग नाद :- यह नाद जब सुनाई देता हैं तब साधक की वासनाएं और इच्छाए नस्ट होने लगती हैं।

४. घंट नाद :- इसका उच्चारण साक्षात शिव करते हैं, यह साधक को वैराग्य भाव की तरफ लेजाती हैं।

५. वीणा नाद :- यहाँ इस नाद को जब साधक सुनता हैं तब मन के पार की झलक का पता चलता हैं ।

६. वंशी नाद :- इसके ध्यान से सम्पूर्ण तत्व के ज्ञान का अनुभव होता हैं।

७. दुन्दुभी नाद :- इसके ध्यान से साधक जरा व मृत्यु के कष्ट से छूट जाता है।

८. शंख नाद :- इसके ध्यान व अभ्यास से स्वम् का निराकार भाव प्राप्त होता हैं।

९. मेघनाद :- जब ये सुनाई दे तब मन के पार की अवस्था का अनुभव होता हैं, जहा शुन्य भाव प्राप्त होता हैं।
इन सबको छोड़कर जो अन्य शब्द सुनाई देता है वह तुंकार कहलाता है, तुंकार का ध्यान करने से
साक्षात् शिवत्व की प्राप्ति होती है। शिवोहम शिवोहम शिवोहम शिवोहम शिवोहम शिवोहम शिवोहम।


सुनील भगत 

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