मनुष्य ज्ञानी होकर और सब भगवानो की साधना करते हुए भी आज तक इस संसार रूपी नरक में क्यों पड़ा है ? आखिर इसके पीछे कुछ तो राज है | तो आईये जाने उस राज को ताकी हम सच्चाई को जानकर अपने पूर्ण परमात्मा के सत्यलोक को जाए और हमे शा हमेशा के लिए अपना जीवन मुक्त करे पवित्र गीता के अ: 8 के श: 13 में स्पष्ट वर्णन है की ब्रह्म प्राप्ति का केवल एक ही मंत्र है और वो है "ॐ" मनुष्य इस ॐ नाम का सुमरण करके ब्रह्मलोक तक की प्राप्ति कर सकता है अर्थात स्वर्ग व महास्वर्ग तक जा सकता है लेकिन पवित्र गीता ज्ञान दाता ने अ: 8 के श: 16 में फिर स्पष्ट वर्णन किया है की ब्रह्म लोक पर्यन्त सब लोक पुनरावर्ती में ही है | पवित्र गीता के अ:15 के श:16 ,17 में स्पष्ट वर्णन है की इस संसार में नाशवान और अविनाशी भी ये 2 प्रकार के पुरुष अर्थात भगवा न् है एक क्षरपुरुष यानी ब्रह्म और दूसरा अक्षरपुरुष यानी परब्रह्म और इन दोनों भगवानो से भी अलग उतम पुरुष तो अन्य ही है जो तीनो लोको में प्रवेश करके सबका धारण पोष ण करता है (एवं) अविनाशी परमेश्वर परमात्मा इस प्रकार कहा गया है |पवित्र गीता के अ: 15 के श: 4 में स्पष्ट वर्णन है की उस परमपदरूप परमेश्वर को भली भाँती खोजना चाहिए जिसमे गए हुए पुरुष फिर वापिस लोटकर संसार में नहीं आते और गीता ज्ञान दाता यानी ब्रह्म कह रहा है की में भी उसकी ही शरण में हूँ सब लोग आज तक यही सम झते है की गीता श्री कृष्ण जी ने बोली थी लेकिन ऐसा नहीं है गीता जिसने बोली थी वो गीता के अ: 7 के श: 24 में स्पष्ट कह रहा है की बुद्धिहीन अर्थात मुर्ख लोग मेरे अश्रेष्ट अटल परमभाव को न जानते हुए अद्रुश्यमान मुझ काल को मनुष्य की तरह आकार में श्री कृष्ण अवतार प्राप्त हुआ मानते है अर्थात में श्री कृष्ण नहीं हूँ | उस श्रेष्ट पूर्ण परमात्मा का मंत्र गीता ज्ञान दाता ब्रह्म ने अ: 17 के श: 23 में स्पष्ट किया है की ब्रह्म का मंत्र ॐ पारब्रह्म का मंत्र तत और पूर्ण ब्रह्म का मंत्र सत यह तीन प्रकार का सच्चिदानन्दघन ब्रह्म का नाम कहा है | ब्रह्म का ॐ मंत्र तो साफ़ है लेकिन तत और सत ये सांकेतिक है इनके बारे में गीता ज्ञान दाता ने अ:4 के श:34 में स्पष्ट किया है की उस ज्ञान को तू तत्त्वदर्शी ज्ञानियों के पास जाकर समझ उनको भली भाँती दंडवत प्रणाम करने से (उनकी) सेवा करने से और कपट छोड़कर सरलता पूर्वक प्रशन करने से वे परमात्मतत्त्व को भली भाँती जानने वाले ज्ञानी महात्मा तुझे उस तत्त्व ज्ञान का उपदेश करेंगे कबीर जी भी कहते है
सुनील भगत
सुनील भगत
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