मंगलवार, 30 दिसंबर 2014

पूर्ण मोक्ष साधन

पूर्ण मोक्ष प्राप्ति के लिए उपदेश मंत्र साधना ( नाम दान)

पूर्ण परमात्मा ही पूजा के योग्य है। शास्त्र विधि अनुसार पूजा अति उत्तम है। शास्त्रानुकूल पूजा से ही पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति अर्थात सतलोक गमन सम्भव है। तीन मंत्रोें के नाम का जाप करने से ही पूर्ण मोक्ष होता है। सतगुरु अर्थात् तत्वदर्शी सन्त द्वारा अपने अधिकारी शिष्य को उसकी भक्ति एवं दृढता के स्तर के अनुसार तीन प्रकार के मंत्रों (नाम दान) क्रमशः तीन बार उपदेश करने सेे समस्त पाप कर्म कटते हैं। 

कबीर सागर में अमर मूल बोध सागर पृष्ठ 265 -तब  कबीर  अस कहेवे लीन्हा,ज्ञानभेद सकल कह दीन्हा ।।
धर्मदास   मैं  कहो   बिचारीजिहिते निबहै सब संसारी ।।

प्रथमहि शिष्य  होय जो आईता कहैं पान देहु तुम भाई ।।1।।

जब देखहु तुम  दृढ़ता  ज्ञानाता  कहैं  कहु शब्द प्रवाना ।।2।।
शब्द मांहि जब निश्चय आवैता कहैं ज्ञान अगाध सुनावै ।।3।।

दोबारा फिर समझाया है -
बालक   सम  जाकर  है  ज्ञाना । तासों  कहहू  वचन    प्रवाना ।।1।।
जा  को  सूक्ष्म   ज्ञान   है  भाई । ता  को  स्मरन   देहु  लखाई ।।2।।
ज्ञान   गम्य  जा  को पुनि  होई । सार  शब्द जा को  कह  सोई ।।3।।
जा को होए दिव्य ज्ञान परवेशा । ताको कहे तत्व ज्ञान उपदेशा ।।4।।
उपरोक्त वाणी से स्पष्ट है कि कड़िहार गुरु पूर्ण संत तीसरी स्थिति में सार नाम प्रदान करता है

प्रथम बार में नाम जाप : ब्रह्म गायत्री मन्त्र
मूलाधार चक्र में श्री गणेश जी का वासस्वाद चक्र में ब्रह्मा सावित्री जी का वासनाभि चक्र में लक्ष्मी विष्णु जी का वासहृदय चक्र में शंकर पार्वती जी का वासकंठ चक्र में माता अष्टंगी का वास है और इन सब देवी-देवताओं के आदि अनादि नाम मंत्र होते हैं इन मंत्रों के जाप से बाद मानव भक्ति करने के लायक बनता है। सतगुरु गरीबदास जी अपनी वाणी में प्रमाण देते हैं कि:--

पांच नाम गुझ गायत्री आत्म तत्व जगाओ। ऊँ किलियं हरियम् श्रीयम् सोहं ध्याओ।।
भावार्थ: पांच नाम जो गुझ गायत्री है। इनका जाप करके आत्मा को जागृत करो ।

द्वितीय बार में नाम जाप : सतनाम
सतगुरु अर्थात् तत्वदर्शी सन्त दूसरी बार में दो अक्षर का सतनाम जाप देते हैं जिनमें एक ऊँ और दूसरा तत् (जो कि गुप्त है उपदेशी को बताया जाता है) जिनको स्वांस के साथ जाप किया जाता है।

कबीरजब ही सत्यनाम हृदय धरोभयो पाप को नाश।          मानो  चिन्गारी  अग्नि  की,   पड़ी  पुराणे  घास।।  

भावार्थ:- यथार्थ साधना पूर्ण सन्त से प्राप्त करके सतनाम का स्मरण हृदय से करने से सर्व पाप (संचित तथा प्रारब्ध के पाप) ऐसे नष्ट हो जाते हैं जैसे पुराने सूखे घास को अग्नि की एक चिंगारी जलाकर भस्म कर देती है। 

तृतीय बार में नाम जाप : सारनाम
सतगुरु अर्थात् तत्वदर्शी सन्त तीसरी बार में सारनाम देते हैं जो कि पूर्ण रूप से गुप्त है।
कबीरकोटि नाम संसार में इनसे मुक्ति न हो।
सार नाम मुक्ति का दातावाको जाने न कोए।।

तीन बार में नाम जाप का प्रमाण:--
ऊँतत्सत्इतिनिर्देशःब्रह्मणःत्रिविधःस्मृतः,
ब्राह्मणाःतेनवेदाःयज्ञाःविहिताःपुरा ।।गीता 17.23।।

अनुवाद: (ऊँऊँ सांकेतिक मंत्र ब्रह्म का (तत्) तत् सांकेतिक मंत्र परब्रह्म का (सत्) सत् सांकेतिक मंत्र पूर्णब्रह्म का (इति) ऐसे यह (त्रिविधः) तीन प्रकार के (ब्रह्मणः) पूर्ण परमात्मा के नाम सुमरण का (निर्देशः) संकेत (स्मृतः) कहा है (च) और (पुरा) सृष्टिके आदिकालमें (ब्राह्मणाः) विद्वानों ने बताया कि (तेन) उसी पूर्ण परमात्मा ने (वेदाः) वेद (च) तथा (यज्ञाः) यज्ञादि (विहिताः) रचे।(गीता 17.23)


Sunil Bhagat

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

श्रीमान सुनील जी
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