सोमवार, 26 अक्टूबर 2015

स्वप्न फल स्वप्नों का अर्थ :

स्वप्नों के संबंध में प्राचीन शास्त्रीय उल्लेख, शकुन शास्त्र की प्राचीनता तथा वर्तमान में प्रासंगिकता, स्वप्नों के वैज्ञानिक तथा मनोवैज्ञानिक कारण तथा भूत, भविष्य एवं वर्तमान से उनका संबंध, शकुनों एवं अपशकुनों की व्याख्या और उनके दुष्प्रभावों के निवारण के लिए शास्त्रीय उपाय.
1अ-2 आ-3 इ-4 उ-5 ऊ-6 औ-7 ऐ-8 क-9 ख-10 ग-11 घ-12 च-13 स-14 छ-15 ज-16 झ-17 ट-18 ठ-19 ड-20 त-21 थ-22 ध-23 न-24 प-25 फ-26 ब-27 भ-28 म-29 य-30 र-31 ल-32 व-33 श-34 श्र-35  ह-36 द-

मानव मन का स्वप्नों के साथ गहरा संबंध है निद्रा की अवस्था में भी मस्तिष्क सक्रिय रहता है। अवचेतन मन की इच्छाएँ, दिन प्रतिदिन के तनाव एवं चिन्ताएं स्वप्न के रूप में दिखाई देती हैं। मनोवैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि कभी-कभी स्वप्न भविष्य में होने वाली घटनाओं का भी संकेत देते हैं। स्वप्नों से भविष्य संकेत की पुष्टि कई प्राचीन ग्रंथों द्वारा होती है।
मानव मस्तिष्क अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने के प्रयत्नों में आदि काल से ही सक्रिय है। परंतु जब किसी कारण इसकी कुछ अधूरी इच्छाएं पूर्ण नहीं हो पाती जो कि मस्तिष्क के किसी कोने में जाग्रत अवस्था में रहती है तो वह स्वप्न का रूप ले लती हैं। आधुनिक विज्ञान में इस विषय में कहा है कि स्वप्न'' मानव की दबी हुई इच्छाओं का प्रकाशन करते हैं जिनको हमने अपनी जाग्रत अवस्था में कभी-कभी विचारा होता है। अर्थात स्वप्न हमारी वो इच्छाएं हैं जो किसी भी प्रकार के भय से जाग्रत् अवस्था में पूर्ण नहीं हो पाती हैं व स्वप्नों में साकार होकर हमें मानसिक संतुष्टि व तृप्ति देती है सपने या स्वप्न आते क्यों है? इस प्रश्न का कोई ठोस प्रामाणिक उत्तर आज तक खोजा नहीं जा सका है।
विज्ञान मानता है कि नींद का हमारे मस्तिष्क में होने वाले उन परिवर्तनों से संबंध होता है, जो सीखने और याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ मांस पेशियों को भी आराम पहुंचाने में सहायक होते हैं। इस नींद की ही अवस्था में न्यूरॉन (मस्तिष्क की कोशिकाएं) पुनः सक्रिय हो जाती हैं।
वैज्ञानिकों ने नींद को दो भागों में बांटा है पहला भाग आर ई एम अर्थात् रैपिड आई मुवमेंट है। (जिसमें अधिकतर सपने आते हैं) इसमें शरीर शिथिल परंतु आंखें तेजी से घूमती रहती हैं और मस्तिष्क जाग्रत अवस्था से भी ज्यादा गतिशील होता है। इस आर ई एम की अवधि १० से २० मिनट की होती है तथा प्रत्येक व्यक्ति एक रात में चार से छह बार आर ई एम नींद लेता है। यह स्थिति नींद आने के लगभग १.३० घंटे अर्थात ९० मिनट बाद आती है। इस आधार पर गणना करें तो रात्रि का अंतिम प्रहर आर ई एम का ही समय होता है (यदि व्यक्ति समान्यतः १० बजे रात सोता है तो ) जिससे सपनों के आने की संभावना बढ़ जाती है।
सपने बनते कैसे हैं : दिन भर विभिन्न स्रोतों से हमारे मस्तिष्क को स्फुरण (सिगनल) मिलते रहते हैं। प्राथमिकता के आधार पर हमारा मस्तिष्क हमसे पहले उधर ध्यान दिलवाता है जिसे करना अति जरूरी होता है, और जिन स्फुरण संदेशों की आवश्यकता तुरंत नहीं होती उन्हें वह अपने में दर्ज कर लेता है। इसके अलावा प्रतिदिन बहुत सी भावनाओं का भी हम पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। जो भावनाएं हम किसी कारण वश दबा लेते हैं गुस्सा आदि वह भी हमारे अवचेतन मस्तिष्क में दर्ज हो जाती हैं। रात को जब शरीर आराम कर रहा होता है मस्तिष्क अपना काम कर रहा होता है। इस दौरान हमें चेतनावस्था में कोई स्कुरण संकेत भावनाएं आदि नहीं मिल रही होती उस समय मस्तिष्क दिन भर मिले संकेतों को लेकर सक्रिय होता है जिनसे स्वप्न प्रदर्शित होते हैं।
यह वह स्वप्न होते हैं जो मस्तिष्क को दिनभर मिले स्फुरण, भावनाओं को दर्शाते हैं जिन्हें दिन में हमने किसी कारण वश रोक लिया था। जब तक यह प्रदर्शित नहीं हो पाता तब तक बार-बार नजर आता रहता है तथा इन पर नियंत्रण चाहकर भी नहीं किया जा सकता
भारतीय दर्शनशास्त्र के अनुसार भूत, वर्तमान और भविष्य का सूक्ष्म आकार हर समय वायुमंडल में विद्यमान रहता है। जब व्यक्ति निद्रावस्था में होता है तो सूक्ष्माकार होकर अपने भूत और भविष्य से संपर्क स्थापित करता है। यही संपर्क स्वप्न का कारण और स्वप्न का माध्यम बनता है।
व्यक्ति सक्रिय है, वह स्वप्न अवश्य देखता है। सभी प्राणियों में मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जो स्वप्न देख सकता है। अर्थात् जो मनुष्य स्वप्न नहीं देखता, वह जीवित नहीं रह सकता। इसका अभिप्राय यह है कि जो जीवित और सक्रिय है, वह स्वप्न अवश्य देखता है। केवल जन्म से अंधे व्यक्ति स्वप्न नहीं देख सकते लेकिन वे भी स्वप्न में ध्वनियां तो सुनते ही हैं। अर्थात स्वप्न तो उनको भी आते हैं। स्वप्न सोते हुए ही नहीं, जागते हुए भी देखे जा सकते हैं। इस प्रकार स्वप्न को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।
जागृत अवस्था के स्वप्न
निद्रावस्था के स्वप्न
जागृत अवस्था के स्वप्न कवियों, दार्शनिकों, प्रेमी-प्रेमिकाओं, अविवाहित किशोर, युवक-युवतियों को अधिक आते हैं। ये स्वप्न कलात्मक होते हैं। भारतीय दर्शनशास्त्र के अनुसार भूत, वर्तमान और भविष्य का सूक्ष्म आकार हर समय वायुमंडल में विद्यमान रहता है। जब व्यक्ति निद्रावस्था में होता है तो सूक्ष्माकार होकर अपने भूत और भविष्य से संपर्क स्थापित करता है। यही संपर्क स्वप्न का कारण और स्वप्न का माध्यम बनता है। जिस व्यक्ति विशेष की साधना इतनी प्रबल होती है कि वह जागृतावस्था में या ध्यानावस्था में इन भूत-भविष्य के सूक्ष्म आकारों से संपर्क कर लेता है, वही योगी और भविष्यदृष्टा कहलाता है।अवचेतन मन की पहुंच हमारे शरीर तक ही सीमित नहीं, वरन् वह विश्व के किसी भी भाग में जब चाहे पहुंच सकता है। अतः भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों का ज्ञान अवचेतन मन से ही संभव है। नीचे कुछ मुख्य-मुख्य स्वप्नों के भावों फलों का संक्षिप्त वर्णन किया जा रहा है। स्वप्न फलों के संबंध में निम्न बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। रात्रि में तीन बजे से सूर्योदय के पूर्व के स्वप्न सात दिन में, मध्य रात्रि के स्वप्न 1 माह में, मध्य रात्रि से पहले के स्वप्न 1 वर्ष में अपना फल प्रदान करते हैं। दिन के स्वप्न महत्वहीन होते हैं। एक रात में एक से अधिक स्वप्न आएं तो अंतिम ही फलदायक होगा
शुभ स्वप्न
जो व्यक्ति स्वप्नावस्था में घोड़ा, हाथी, सफेद बैल, जूते, रथ में स्वयं को सवार देखता है-उसे ग्राम, नगर, राज्य अथवा देश से अवश्य ही सम्मान की प्राप्ति होती है।
जो व्यक्ति स्वप्न में देवी लक्ष्मी की मूर्ति देखने से धन की प्राप्ति होती है।
जो व्यक्ति गोरैया, नीलकंठ, कबूतर, सारस, तोता व तीतर दिखाई देने से गृहस्थ जीवन खुशहाल होता है।
जो व्यक्ति स्वप्न में स्वयं को किसी महल के ऊँचे बुर्ज पर खड़े देखना भावी जीवन में उन्नति का संकेत है।
जो व्यक्ति किसी बड़े जलाशय, सरोवर, नदी अथवा सागर में स्वयं को तैरता देखने वाला मनुष्य सभी प्रकार के संकटों से मुक्त हो जाता है।
जो व्यक्ति स्वप्न में उल्लू देखने से भगवती लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति होती है।
जो व्यक्ति स्वप्नावस्था में तिल, चावल गेहूं, सरसों, जौ, अन्न का ढेर, पुष्प, छाता, ध्वज, दही, पान, कमल, कलश, शंख और सोने के गहने देखता है उसे सभी प्रकार का सुख मिलता है।
जो व्यक्ति यदि कोई रोगी स्वप्न में दवाई की बोतल टूटी हुई देखता है तो वह शीघ्र ही रोग मुक्त हो जाता है।
जो व्यक्ति स्वप्न में फल देखना बहुत शुभ होता है।
जो व्यक्ति यदि आप स्वयं को किसी ऊंचाई पर चढ़ता देखें तो यह भविष्य में उन्नति का संकेत है।
जो व्यक्ति यदि आप स्वप्न में नए वस्त्र पहने दिखते हैं तो आपको कोई मांगलिक कार्य का संदेश मिलने वाला है।
जो व्यक्ति यदि आप किसी वृद्ध व्यक्ति अथवा साधु को देखते हैं तो आपको बड़ा लाभ अथवा सम्मान मिलने वाला है।
अशुभ स्वप्न
जो व्यक्ति यदि स्वप्न में किसी बच्चे का जन्म होता दिखाई दे तो सावधान होना चाहिए क्योंकि यह आगामी दुर्घटना का संकेत है
जो व्यक्ति यदि स्वप्न में किसी रोते बच्चे को देखें तो कोई संकट आने वाला है।
जो व्यक्ति स्वप्न में जिस व्यक्ति को दक्षिण दिशा में खड़े पितर बुलाते हैं उसको अपना अंतिम समय आया हुआ जान लेना चाहिए।
जो व्यक्ति स्वप्न में कोई खंडहर, सुनसान जगह देखना, भटक जाना और निकलने का कोई मार्ग न मिलना हानि कारक होता है।
जो व्यक्ति स्वप्न में यदि कोई किसी के पांवों को कटा हुआ देखेगा तो उसके जीवन में अनेक प्रकार की आर्थिक और व्यवसायिक बाधाएं आने वाली हैं।
जो व्यक्ति स्वप्न में किसी बारात में शामिल होना अशुभ है।
जो व्यक्ति स्वप्न में किसी की हत्या होते देखने का अर्थ है कि कोई आपके खिलाफ बगावत कर रहा है।
जो व्यक्ति स्वप्न में यदि कोई सोना चांदी आदि धातुओं की चोरी करता है तो यह अशुभ है। इस का प्रभाव व्यवसाय पर पड़ सकता है।
जो व्यक्ति स्वप्न में यदि कोई पानी में डूबता जा रहा है तो यह आने वाले संकटों का सूचक है।
जो व्यक्ति यदि कोई व्यक्ति स्वप्न में स्वयं को डोरी से बंधा हुआ देखता है तो उसे शीघ्र ही किसी अपराध में बंदी बनाया जा सकता है।
जो व्यक्ति स्वप्न में यदि ऐसा प्रतीत हो कि कोई व्यक्ति स्वप्न देखने वाले की पत्नी का अपहरण करके ले जा रहा है तो शीघ्र ही उसके धन की हानि होती है।
अनिष्ट फल नाशक उपाय
यदि मन यह स्वीकार करे कि देखे गए स्वप्न का परिणाम अनिष्टकारी हो सकता है तो उसके निवारण का उपाय अवश्य किया जाना चाहिए। चित्रकूट वास के समय श्री राम ने भी एक स्वप्न देखा था जिसके अनिष्ट फल के निवारण हेतु उन्होंने भगवान शंकर की पूजा की थी। उचित उपाय करने से बुरे स्वप्न से होने वाला दुष्प्रभाव अत्यन्त क्षीण अथवा समाप्त हो जाता है। यदि स्वप्न अधिक भयानक और रात्रि १२ से २ बजे देखा जए तो तुरंत श्री शिव का नाम स्मरण करें। ÷ऊँ नमः शिवाय' का जप करते हुए सो जाएं। तत्पश्चात् ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि करके शिवमंदिर में जाकर जल चढ़ाएं पूजा करें व पुजारी को कुछ दान करें। इससे संकट नष्ट हो जाता है।
यदि स्वप्न ४ बजे के बाद देखा गया है और स्वप्न बुरा है, तो प्रातः उठकर बिना किसी से कुछ बोले तुलसी के पौधे से पूरा स्वप्न कह डालें। कोई दुष्परिणाम नहीं होगा। स्नान के बाद ÷ऊँ नमः शिवाय' का १०८ बार जप करें।
हनुमान जी सब प्रकार का अनिष्ट दूर करने वाले हैं। बुरे स्वप्न का अनिष्ट दूर करने के लिए सुंदरकांड, बजरंग बाण, संकटमोचन स्तोत्र अथवा हनुमान चालीसा का पाठ भी सांयकाल के समय किया जा सकता है। यदि स्वप्न बहुत बुरा है और आपके घर में तुलसी का पौधा नहीं है, तो सुबह उठकर सफेद कागज पर स्वप्न को लिखें फिर उसे जला दें। राख नाली में पानी डाल कर बहा दें। फिर स्नान करके एक माला शिव के मंत्र ऊँ नमः शिवाय' का जप करें। दुष्प्रभाव नष्ट हो जाएगा।
रोगी स्वप्न फल
1.यदि रोगी सिर मुंडाएं ,लाल या काले वस्त्र धारण किए किसी  को सपने में देखता है या अंग भंग व्यक्ति को देखता है तो रोगी की दशा अच्छी नही है ।
2. यदि रोगी सपने मे किसी ऊँचे स्थान से गिरे या पानी में डूबे या गिर जाए तो समझे कि रोगी का रोग अभी और बड़ सकता है।
3. यदि सपने में ऊठ,शेर या किसी जंगली जानवर की सवारी करे या उस से भयभीत हो तो समझे कि रोगी अभी किसी और रोग से भी ग्र्स्त हो सकता है।
4. यदि रोगी सपने मे किसी ब्राह्मण,देवता राजा गाय,याचक या मित्र को देखे तो समझे कि रोगी जल्दी ही ठीक हो जाएगा ।
5.यदि कोई सपने मे उड़ता है तो इस का अभिप्राय यह लगाया जाता है कि रोगी या सपना देखने वाला चिन्ताओं से मुक्त हो गया है ।
6.यदि सपने मे कोई मास या अपनी प्राकृति के विरूध भोजन करता है तो ऐसा निरोगी व्यक्ति भी रोगी हो सकता है ।
7,यदि सपने में साँप देखता है तो ऐसा व्यक्ति आने वाले समय मे परेशानी में पड़ सकता है ।या फिर मनौती आदि के पूरा ना करने पर ऐसे सपनें आ सकते हैं।

1 स्वप्नों का अर्थ   अ-                                                                                                  
अप्सरा देखना – धन और मान सम्मान की प्राप्ति
अर्थी देखना – धन लाभ हो
अमरुद खाना – धन मिले
अनानास खाना – पहले परेशानी फिर राहत मिले
अदरक खाना – मान सम्मान बढे
अनार के पत्ते खाना – शादी शीघ्र हो
अखरोट देखना – भरपुर भोजन मिले तथा धन वृद्धि हो
अनाज देखना -चिंता मिले
अनार खाना (मीठा ) – धन मिले
अजनबी मिलना – अनिष्ट की पूर्व सूचना
अजवैन खाना – स्वस्थ्य लाभ
अध्यापक देखना – सफलता मिले
अँधेरा देखना – विपत्ति आये
अँधा देखना – कार्य में रूकावट आये
अमलतास के फूल – पीलिया या कोढ़ का रोग होना
अरहर देखना – शुभ
अरहर खाना – पेट में दर्द
अरबी देखना – सर दर्द या पेट दर्द
अलमारी बंद देखना – धन प्राप्ति हो
अलमारी खुली देखना – धन हानि हो
अंगूर खाना – स्वस्थ्य लाभ
अंग रक्षक देखना – चोट लगने का खतरा
अपने को आकाश में उड़ते देखना – सफलता प्राप्त हो
अपने पर दूसरौ का हमला देखना – लम्बी उम्र
अंग कटे देखना – स्वास्थ्य लाभ
अंग दान करना – उज्जवल भविष्य , पुरस्कार
अंगुली काटना – परिवार में कलेश
अंगूठा चूसना – पारवारिक सम्पति में विवाद
अन्तेस्ति देखना – परिवार में मांगलिक कार्य
अस्थि देखना – संकट टलना
अंजन देखना – नेत्र रोग
अंक देखना विषम – शुभ
अस्त्र से स्वयं को कटा देखना – शीघ्र कष्ट मिले
अपने दांत गिरते देखना – बंधू बांधव को कष्ट हो
आंसू देखना – परिवार में मंगल कार्य हो
आवाज सुनना – अछा समय आने वाला है
आंधी देखना – संकट से छुटकारा
आंधी में गिरना – सफलता मिलेगी
अपने आप को अकेला देखना – लम्बी यात्रा
अख़बार पढ़ना, खरीदना – वाद विवाद
अचार खाना , बनाना – सिर दर्द, पेट दर्द
अट्हास करना – दुखद समाचार मिले
अध्यक्ष बनना – मान हानि
अध्यन करना -असफलता मिले
अपहरण देखना – लम्बी उम्र
अभिमान करना – अपमानित होना
अध्र्चन्द्र देखना – औरत से सहयोग मिले
अमावस्या होना – दुःख संकट से छुटकारा
अगरबत्ती देखना – धार्मिक अनुष्ठान हो
अगरबत्ती जलती देखना – दुर्घटना हो
अगरबत्ती अर्पित करना – शुभ
अपठनीय अक्षर पढना – दुखद समाचार मिले
अंगीठी जलती देखना – अशुभ
अंगीठी बुझी देखना – शुभ
अजीब वस्तु देखना – प्रियजन के आने की सूचना
अजगर देखना – शुभ
अस्त्र देखना – संकट से रक्षा
अंगारों पर चलना – शारीरिक कष्ट
अंक देखना सम – अशुभ
2 स्वप्नों का अर्थ   आ-
आइना देखना – इच्छा पूरण हो , अछा दोस्त मिले
आइना में अपना मुहं देखना – नौकरी में परेशानी , पत्नी में परेशानी
आसमान देखना – ऊचा पद प्राप्त हो
आसमान में स्वयं को देखना – अच्छी यात्रा का संकेत
आसमान में स्वयं को गिरते देखना – व्यापार में हानि
आग देखना – गलत तरीके से धन की प्राप्ति हो
आग जला कर भोजन बनाना – धन लाभ , नौकरी में तरक्की
आग से कपडा जलना – अनेक दुख मिले , आँखों का रोग
आजाद होते देखना – अनेक चिन्ताओ से मुक्ति
आलू देखना – भरपूर भोजन मिले
आंवला देखना – मनोकामना पूर्ण न होना
आंवला खाते देखना – मनोकामना पूर्ण होना
आरू देखना – प्रसनता की प्राप्ति
आक देखना – शारारिक कष्ट
आम खाते देखना – धन और संतान का सुख
आलिंगन देखना पुरुष का औरत से – काम सुख की प्राप्ति
आलिंगन देखना औरत का पुरुष से – पति से बेवफाई की सूचना
आलिंगन देखना पुरुष का पुरुष से- शत्रुता बढ़ना
आलिंगन देखना औरत का औरत से – धन प्राप्ति का संकेत
आत्महत्या करना या देखना – लम्बी आयु
आवारागर्दी करना – धन लाभ हो नौकरी मिले
आँचल देखना – प्रतियोगिता में विजय
आँचल से आंसू पोछना – अछा समय आने वाला है
आँचल में मुँह छिपाना – मान समान की प्राप्ति
आरा चलता हुआ देखना – संकट शीघ्र समाप्त होगे
आरा रूका हुआ देखना- नए संकट आने का संकेत
आवेदन करना या लिखना – लम्बी यात्रा हो
आश्रम देखना – व्यापार में घाटा
आट्टा देखना – कार्य पूरा हो
आइसक्रीम खाना – सुख शांति मिले
3 स्वप्नों का अर्थ   इ
इमली खाते देखना – औरत के लिए शुभ ,पुरुष के लिए अशुभ
इडली साम्भर खाते देखना – सभी से सहयोग मिले
इष्ट देव की मूर्ति चोरी होना – मृत्युतुल्य कष्ट आये
इश्तहार पढना – धोखा मिले, चोरी हो
इत्र लगाना – अछे फल की प्राप्ति, मान सम्मान बढेगा
इमारत देखना – मान सम्मान बढे, धन लाभ हो
ईंट देखना – कष्ट मिलेगा
इंजन चलता देखना – यात्रा हो , शत्रु से सावधान
इन्द्रधनुष देखना – संकट बढे , धन हानि हो
इक्का देखना हुकम का – दुःख व् निराशा मिले
इक्का देखना ईंट का -कष्टकारक स्तिथि
इक्का देखना पान का -पारवारिक क्लेश
इक्का देखना चिड़ी का – गृह क्लेश ,अतिथि आने की सूचना
4 स्वप्नों का अर्थ   उ-
उजाड़ देखना – दूर स्थान की यात्रा हो
उस्तरा प्रयोग करना – यात्रा में धन लाभ हो
उपवन देखना – बीमारी की पूर्व सूचना
उदघाटन देखना – अशुभ संकेत
उदास देखना – शुभ समाचार मिले
उधार लेना या देना – धन लाभ का संकेत
स्वयं को उड़ते देखना – गंभीर दुर्घटना की पूर्व सूचना
उछलते देखना -दुखद समाचार मिलने का संकेत
उल्लू देखना -दुखों का संकेत
उबासी लेना – दुःख मिले
उल्टे कपडे पहनना – अपमान हो
उजाला देखना – भविष्य में सफलता का संकेत
उजले कपडे देखना -इज्जत बढे , विवाह हो
उठना और गिरना – संघर्ष बढेगा
उलझे बाल या धागे देखना – परेशानिया बढेगी
उस्तरा देखना – धन हानि , चोरी का भय
5 स्वप्नों का अर्थ   ऊ
ऊंघना – धन हानि , चोरी का भय
ऊंचाई पर अपने को देखना – अपमानित होना
ऊन देखना – धन लाभ हो
ऊंचे पहाड़ देखना – काफी मेहनत के बाद कार्य सिद्ध होना
ऊंचे वृक्ष देखना – मनोकामना पूरी होने में समय लगना
6 स्वप्नों का अर्थ   औ-
औषधी देखना – गलत संगति देखना
7 स्वप्नों का अर्थ   ऐ-
ऐनक लगते देखना – विद्या मिले, ख़ुशी इज्जत मिले
8 स्वप्नों का अर्थ   क
कब्र खोदना – धन पाए , मकान बनाये
कत्ल करना स्वयं का – अच्छा सपना है , बुरे काम से बचे
कद अपना छोटा देखना – अपमान सहना , परेशानी उठाना
कद अपना बड़ा देखना – भारी संकट आना
कसम खाते देखना – संतान का दुःख भोगना
कलम देखना – विद्या धन की प्राप्ति
कर्जा देना – खुशहाली आये
कर्जा लेना – व्यापार में हानि
कला कृतिया देखना – मान समान बढे
कपूर देखना – व्यापार में लाभ
कबाडी देखना – अच्छे दिनों की शुरूआत
कबूतर देखना – प्रेमिका से मिलना
कबूतरों का झुंड – शुभ समाचार मिले
कमल का फूल – ज्ञान की प्राप्ति
कपास देखना – सुख समृधि हो
कंगन देखना – अपमान हो
कदू देखना – पेट दर्द
कन्या देखना – धन वृद्धि हो
कफन देखना – लम्बी उम्र
कली देखना – स्वास्थ्य खराब हो
कछुआ देखना – शुभ समाचार मिले
कलश देखना – सफलता
कम्बल देखना – बीमारी आये
कपडा धोना – पहले रूकावट , फिर लाभ
कटा सिर देखना – शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी
कब्रिस्तान देखना – निराशा हो
कंघी देखना – चोट लगना , दांत या कान में दर्द
कसरत – बीमारी आने की सूचना
काली आँखे देखना – व्यापार में लाभ
काला रंग देखना – शुभ फल
काजू खाना – नया व्यापार शुरू हो
कान देखना – शुभ समाचार
कान साफ करना – अच्छी बातो का ज्ञान
काउंटर देखना – लेने देने में लाभ हो
कारखाना देखना – दुर्घटना में फसने की सूचना
काली बिल्ली देखना – लाभ हो
कुंडल पहने देखना – संकट हो
कुबडा देखना – कार्य में विघ्न
कुमकुम देखना – कार्य में सफलता
कुल्हाडी देखना – परिश्रम अधिक, लाभ कम
कुत्ता भोंकना – लोगो द्वारा मजाक उड़ना
कुत्ता झपटे – शत्रु की हार
कुर्सी खाली देखना – नौकरी मिले
कूड़े का ढेर देखना – कठिनाई के बाद धन मिले
किला देखना – ख़ुशी प्राप्त हो
कील देखना / ठोकना – परिवार में बटवारा हो
केश संवारना – तीर्थ यात्रा
केला खाना / देखना – ख़ुशी हो
केक देखना – अच्छी वस्तु मिले
कैमरा देखना – अपने भेद छिपा कर रखे
कोढ़ी देखना – धन का लाभ
कोहरा – संकट समाप्त हो
कोठी देखना – दुःख मिले
कोयल देखना / सुनना – शुभ समाचार
कोया देखना – शुभ संकेत
किसी ऊंचे स्थान से कूदना – असफलता
कद लम्बा देखना – मृत्युतुल्य कष्ट हो
कद घटना – अपमान हो
कटोरा देखना – बनते काम बिगढ़ना
कनस्तर खाली देखना – शुभ
कनस्तर भरा देखना – अशुभ
कमंडल देखना – परिवार के किसी सदस्य से वियोग
करवा चौथ – औरत देखे तो आजीवन सधवा, पुरुष देखे तो धन धान्य संपूरण
कागज कोरा – शुभ
कागज लिखा देखना – अशुभ
कुर्सी पर स्वयं को बैठे देखना – नया पद, पदोनती
कुर्सी पर अन्य को बैठे देखना – अपमान
कब्र खोदना – मकान का निर्माण करना
कपूर देखना – व्यापार नौकरी में लाभ
कबूतर देखना – प्रेमिका से मिलन
कपडा बेचते देखना – व्यापार में लाभ
कपडे पर खून के दाग – व्यर्थ बदनामी
कछुआ देखना – धन आशा से अधिक मिलना
कमल ककडी देखना – सात्विक भोजन में आनंद, ख़ुशी मिले
कपास देखना – सुख, समृधि घर आये
करी खाना – विधवा से विवाह, विधुर से विवाह
कृपाण – धरम कार्य पूर्ण होने की सूचना
कान देखना – शुभ समाचार
कान कट जाना – अपनों से वियोग
काला कुत्ता देखना – कार्य मे सफलता
काउंटर देखना – लेन देन में लाभ
काली बिल्ली देखना – शुभ समाचार
पीली बिल्ली देखना – अशुभ समाचार
काना व्यक्ति देखना – अनकूल समय नहीं
कीडा देखना – शक्ति का प्रतीक
कुम्हार देखना – शुभ समाचार
केतली देखना – दांपत्य जीवन में शांति हो
केला देखना या खाना – शुभ समाचार
कैंची – अकारण किसी से वाद- विवाद होना
कोठी देखना – दुःख मिले
कोयला देखना – प्रेम के जाल में फँस कर दुःख पाए
कुरान- सुख शांति की भावना बढे
9 स्वप्नों का अर्थ   ख
खरोंच लगना -शरीर स्वस्थ हो
खटमल देखना – जीवन में संघर्ष
खटमल मारना – कठिनाई से छुटकारा
खरबूजा देखना -सफलता मिले
ख़त पढ़ना – शुभ समाचार
खरगोश देखना – औरत से बेवफाई
खलिहान देखना – सम्मान बडे
खटाई खाना – धन हानि हो
खाली खाट देखना -बीमार पड़ने की सूचना
खाली बर्तन देखना – काम में हानि
खिलखिलाना – दुखद समाचार मिलने का संकेत
खिल्ली उडाना -लोगो से निराशा मिले
खिलौना देखना – आँखों को सुख मिले
खुजली होना – रोग से छुटकारा पाने का संकेत
ख़ुशी देखना – परेशानी बढे
खुशबू लगाना – सम्मान बढे
खून खराबा -सौभाग्य वृद्धि
खून देखना – धन मिले
खून की वर्षा देखना – देश में अकाल पड़े
खून में लोटना – धन-सम्पति प्राप्त होने का संकेत
खेल कूद में भाग लेना – भाग्यौनात्ति होना
खेत देखना -यात्रा हो , विद्या व् धन की वृद्धि
खेत काटते देखना – पत्नी से मन मुटाव होना
खोपडी देखना – बौधिक कार्यो में सफलता
10 स्वप्नों का अर्थ   ग
गधा देखना -प्यार मिले
गधा लदा हुआ देखना – व्यापार में लाभ हो
गधे की चीख सुनना – दुख हो
गधे की सवारी करना – शुभ समाचार मिले
गाय देखना – धन लाभ हो
गाय या बैल पीले रंग की देखना – महामारी आने के लक्षण
गरम पानी देखना – बुखार या अन्य बीमारी आये
गंजा सिर देखना – परीक्षा में पास हो, सम्मान बड़े
गली देखना – सुनसान गली देखने से लाभ , भीड़ वाली गली देखने से मृत्यु का समाचार
गवाही देना -अपराध में फंसना
गमला देखना – खाली देखने पर झंझट , फूल खिले देखने पर शुभ
गलीचा देखना या उस पर बैठना – शोक में शामिल होना
ग्वाला /ग्वालिन देखना – शुभ फल
गाजर देखना – फसल अच्छी हो
गाड़ी देखना – यात्रा सार्थक हो
गलिया देते देखना – बदनामी हो
गायत्री पाठ करना – दुर्लभ स्वप्न मान सम्मान बड़े
गिलास देखना – घरेलू खर्चो में कमी होगी
गिनती करना – काम में हानि
गिरगिट देखना – झगडे में फसने का संकेत
गिलहरी देखना – बहुत शुभ
गीदढ़ देखना – शत्रु से भय मिले
गीली वस्तु देखना – लम्बी बीमारी आने के संकेत
गीता देखना – दुर्लभ समय
गुलाब देखना – सम्मान में वृद्धि
गुढ खाना – सफलता मिले
गुडिया देखना – जल्दी विवाह का संकेत
गुठली खाना या फेंकना – काफी धन आने की सूचना
गेंहू देखना – काफी मेहनत कर के कमाई होना
गेंद देखना – परेशानी होना
गेंदे का फूल देखना – मानसिक अशांति
गेरुआ वस्त्र देखना – समय शुभ है
गीता – कष्ट दूर हो
ग्रन्थ साहिब – धार्मिक कार्यो में रूचि हो
11 स्वप्नों का अर्थ   घ
घडी देखना – यात्रा पर जानाधमाका सुनना – कष्ट बढे
घडी गुम हो जाना – यात्रा का कार्यकर्म स्थगित होना
घर देखना (सजा हुआ ) – संपत्ति में हानि
घर देखना (खंडहर ) – संपत्ति में लाभ
घर में किसी और का प्रवेश देखना – शत्रु पर विजय
घर में आग देखना – सरकार से लाभ हो
घर सोने का देखना – घर में आग लगने का संकेत
घर लोहे का देखना – मान सम्मान बढेगा
घडा भरा देखना – धन लाभ हो
घंटे की आवाज़ सुनना – चोरी होने का संकेत
घंटाघर देखना – अशुभ समाचार
घाट देखना – तीर्थ यात्रा पर जाने का संकेत
घायल देखना – संकट से छुटकारा
घास देखना – लाभ होगा
घी देखना – धन दौलत बढे
घुटने टेकना – वाद विवाद में सफलता मिले
घुंघरू की आवाज सुनना – मान सम्मान बढेगा
घूंघट देखना – नया व्यापार शुरू हो
घोड़ा सजा हुआ देखना – कार्य में हानि
घोड़ा काला देखना -मान सम्मान बढेगा
घोड़ा या हाथी पर चड़ना – उन्नत्ति हो

12 स्वप्नों का अर्थ   च
चलता पहिया देखना – कारोबार में उन्नत्ति हो
चप्पल पहनना – यात्रा पर जाना
चक्की देखना – मान सम्मान बढेगा
चमडा देखना – दुःख हो
चबूतरा देखना -मान सम्मान बढेगा
चट्टान देखना (काली ) – शुभ
चट्टान देखना (सफेद ) – अशुभ
चपत मारना – धन हानि हो
चपत खाना – शुभ फल की प्राप्ति
चरबी देखना – आग लगने का संकेत
चलना जमीन पर -नया रोजगार मिले
चलना पानी पर – कारोबार में हानि
चलना आसमान पर – बीमारी आने का संकेत
चन्द्र ग्रहण देखना – सभी कार्य बिगडे
चमगादर उड़ता देखना – लम्बी यात्रा हो
चमगादर लटका देखना – अशुभ संकेत
चम्मच देखना – नजदीकी व्यक्ति धोखा दे
चप्पल देखना – यात्रा पर जाना
चटनी खाना – दुखो में वृद्धि
चरखा चलाना – मशीनरी खराब हो
चश्मा खोना – चोरी के संकेत
चांदी के बर्तन में दूध पीना – संम्पत्ति में वृद्धि हो
चारपाई देखना – हानि हो
चादर शरीर पर लपेटना -गृह क्लेश बढे
चादर मैली देखना – धन लाभ हो
चादर समेट कर रखना – चोरी होने का संकेत
चंचल आँखे देखना – बीमारी आने की सूचना
चांदी का सामान देखना – गृह क्लेश बढे
चोकलेट खाना -अच्छा समय आने वाला है
चाय देखना – धन वृद्धि हो
चावल देखना – कठिनाई से धन मिले
चाकू देखना – अंत में विजय
चित्र देखना – पुराने मित्र से मिलन हो
चिडिया देखना – मेहमान आने का संकेत
चींटी देखना – धन लाभ हो
चींटिया बहुत अधिक देखना – परेशानी आये
चील देखना – बदनामी हो
चींटी मारना – तुंरत सफलता मिले
चुम्बन लेना – आर्थिक समृधि हो
चुम्बन देना – मित्रता बढे
चुटकी काटना – परिवार में कलेश
चुंगी देना – चलते काम में रूकावट
चुंगी लेना – आर्थिक लाभ
 चूल्हा देखना – उत्तम भोजन प्राप्त हो
चूरन खाना – बीमारी में लाभ
चेचक निकलना – धन की प्राप्ति
चोर पकड़ना – धन आने की सूचना
चोटी पर स्वयं को देखना – हानि हो
चोराहा देखना – यात्रा में सफलता
चौकीदार देखना – अचानक धन आये
चौथ का चाँद देखना – बहुत अशुभ
चुडैल देखना -धन हानि हो
चूहा देखना -औरत से धोखा
चूहा फंसा देखना – शरीर को कष्ट
चूहा चूहे दानी से निकलते देखना – कष्ट से मुक्ति
चूहा मरा देखना – धन लाभ
चूहा मारना – धन हानि
चूडिया तोड़ना – पति दीर्घायु हो (औरत के लिए
13 स्वप्नों का अर्थ   स
स्याही देखना – सरकार से सम्मान मिले
स्टोव जलाना – भोजन अच्छा मिले
संडास देखना – धन वृद्धि हो
संगीत देखना या सुनना – कष्ट बढे
संदूक देखना – पत्नी सेवा करे , अचानक धन मिले
सगाई देखना या उसमे शामिल होना -
सजा पाना – संकटों से छुटकारा मिलाना
सट्टा खेलना – धोखा होने का संकेत
सलाद खाते देखना – धन वृद्धि हो
सर्कस देखना – बहुत मेहनत करनी पड़े
सलाई देखना – मान सम्मान बढे
सरसों का साग खाना – बीमारी दूर हो
सरसों देखना – व्यापार में लाभ हो
ससुर देखना – शुभ समाचार मिले
सर कटा देखना – विदेश यात्रा हो
सर फटा देखना – कारोबार में हानि हो
सर मुंडाना – गृह कलेश में वृद्धि हो
सर के बाल झड़ते देखना – क़र्ज़ से मुक्ति मिले
ससुराल जाना – गृह कलेश में वृद्धि हो
समुद्र पार करना – उनत्ति मिले
साइकिल देखना -सफलता मिले
साइकिल चलाना – काम में तरक्की मिले
साइन बोर्ड देखना – व्यापार में लाभ हो
सावन देखना – जीवन में ख़ुशी मिले
साडी देखना – विवाह हो , दाम्पत्य जीवन में सुख मिले
सारस देखना – धन वृद्धि हो
साला या साली देखना – दाम्पत्य जीवन में सुख हो , मेहमान आये , धनवृद्धि हो
सागर सूखता देखना -बीमारी आये , अकाल पड़े
सारंगी बजाना – अपयश मिले , धन हानि हो
साग देखना – अचानक विवाद हो , सावधान रहे
साबुन देखना – स्वस्थ्य लाभ हो , बीमारी दूर हो
सांप मारना या पकड़ना – दुश्मन पर विजय हो , अचानक धन मिले
सांप से डर जाना -नजदीकी मित्र से विश्वासघात मिले
सांप से बातें करना -शत्रु से लाभ मिले
सांप नेवले की लडाई देखना – कोर्ट कचेहरी जाना पड़े
सांप के दांत देखना -नजदीकी रिश्तेदार हानि पहुंचाएंगे
सांप छत्त से गिरना – घर में बीमारी आये तथा कोर्ट कचहरी में हानि हो
सांप का मांस देखना या खाना – अपार धन आये परन्तु घर में धन रुके नहीं
सिपाही देखना – कानून के विपरीत काम कारनेका संकेत
सिनेमा देखना – समय व्यर्थ में नष्ट हो
सिगरेट पीते देखना -व्यर्थ में धन बर्बाद हो
सिलाई मशीन देखना – पति पत्नी में झगडा हो
सिलाई करना – बिगडा काम बन जाये
सियार देखना -धन हानि हो , बीमारी आये
सिन्दूर देखना – दुर्घटना की सम्भावना
सिन्दूर देवता पर चडाना – मनोकामना पूर्ण हो
सीताफल देखना -कुछ समय के बाद गरीबी दूर होगी
सीता जी को देखना -मान सम्मान बढे
सीमा पार करना -विदेश व्यापार में लाभ हो
सिप्पी देखना – उसे देखने पर हानि , उठाने पर लाभ
सीना चौडा होना – लोकप्रियता में वृद्धि हो
सीड़ी पर चढ़ना – काम में असफलता मिले
सुनहार देखना – साथी से धोखा मिले
सुटली कमर में बंधना -गरीबी आये , संघर्ष करना पढ़े
सुम्भा देखना (लोहे का)- कार्य में सफलता मिले , विवाह हो
सुदर्शन चक्र देखना – बईमानी का दंड शीघ्र मिले
सुपारी देखना -विवाह शीघ्र हो , मित्रों की संख्या में वृद्धि हो
सुनहरी रंग देखना – रुका हुआ धन मिले
सुरंग देखना या सुरंग में प्रवेश करना – नया कार्य आरंभ हो
सूई देखना – एक देखने पर सुख तथा अनेक देखने पर कष्ट में वृद्धि हो
सुलगती आग देखना – शोक समाचार मिले
सुन्दर स्त्री देखना – मान सम्मान में हानि हो
सुनहरी धूप देखना – सरकार से धन लाभ हो , मान सम्मान बढे
सुराही देखना – गृहस्थी में तनाव हो , पति या पत्नी का चरित्र ख़राब हो , रोग दूर हो
सुगंध महसूस करना – चमड़ी की बीमारी आये
सुनसान जगह देखना – बलवृद्धि हो
सूद लेते देखना – मुफ्त का धन मिले
सूद देते देखना -धन नाश हो , गरीबी आये
सूली पर चढ़ना – चिन्ताओ से मुक्ति हो , शुभ समाचार मिले
सूर्य देखना – धन संपत्ति तथा मान सम्मान बढे
सूर्य की तरह अपना चेहरा चमकता देखना – पुरस्कार मिले , मान सम्मान बढे
सूअर देखना – बुरे कामों में फँसना पड़े , बुरे लोगों से दोस्ती हो तथा मानहानि हो
सूअर का दूध पीना – चरित्र खराब हो , जेल जाना पढ़े
सूरजमुखी का फूल देखना – संकट आने की सूचना
सूर्य चन्द्र आदि का विनाश देखना – मृत्यु तुल्य कष्ट मिले
सेम की फली देखना – धन हानि हो परन्तु अच्छा भोजन मिले
सेब का फल देखना – दुःख व् सुख में बराबर वृद्धि हो
सेंध लगाना – प्रिये वस्तु गुम होना
सेवा करना – मेहनत का फल मिलेगा
सेवा करवाना – स्वस्थ्य खराब होने के लक्षण है
सेहरा बंधना – दाम्पत्य जीवन में कलेश की संभावना
सैनिक देखना – साहस में वृद्धि हो
सोंठ खाना – धन हानि हो , स्वस्थ्य में सुधार हो
सोना देखना – परिवार में बीमारी बढे , धन हानि हो
सोना मिलना – धन वृद्धि हो
सोना दुसरे को देना – अपनी मुर्खता से दूसरों को लाभ पहुंचाना
सोना लुटाना – परेशानिया बढे , अपमान सहना पढ़े
सोना गिरवी रखना – बईमानी करे और अपमान हो
सोते हुए शेर को देखना – निडरता से कार्य करे , सफलता मिलेगी
सोलह श्रृंगार देखना -स्वस्थ्य खराब होने का संकेत
स्वप्न में मानिक रत्न देखना – शक्ति तथा अधिकारों में वृद्धि
स्वप्न में मोती रत्न देखना – मानसिक शांति मिले
स्वप्न में मूंगा रत्न देखना – शत्रु पर विजय मिले
स्वप्न में पन्ना रत्न देखना – व्यवसाय में वृद्धि हो
स्वप्न में पुखराज रत्न देखना -वैर विरोध की भावना बढे
स्वप्न में हीरा रत्न देखना – आर्थिक प्रगति हो
स्वप्न में नीलम रत्न देखना – उन्नत्ति हो
स्वप्न में गोमेद रत्न देखना – समस्या अचानक आये
स्वप्न में लहसुनिया रत्न देखना – मान सम्मान बढे
स्वप्न में फेरोज़ा रत्न देखना – व्यवसाय में वृद्धि

सफेद चूडिया देखना – धन लाभ हो
14 स्वप्नों का अर्थ   छ
छत देखना -मकान बने
छड़ी देखना – संतान से लाभ हो
छतरी लगाकर चलना – मुसीबतों से छुटकारा मिलना
छत्र देखना – राज दरबार में सम्मान मिले
छलनी देखना – व्यापार में हानि
छल्ला पहनना – शिक्षा में वृद्धि
छलांग लगाना – असफलता हाथ लगे
छम छम की आवाज़ आये – मेहमान आये
छाज देखना – सम्मान बढे
छाछ पीना -धन लाभ हो
छापाखाना देखना – धन लाभ
छात्रो का समूह देखना – शिक्षा में लाभ
छिपकली देखना – दुश्मन से कष्ट
छींक आना – अशुभ लक्षण
छुआरा खाना – धन लाभ हो
छुरा देखना – दुश्मन से भय हो
छोटे बच्चे देखना – इच्छा पूरण हो
15 स्वप्नों का अर्थ   ज
जमघट देखना – कार्य की प्रशंषा मिलेगी
जयकार सुनना- संकट में पड़ना
जलना – मान सम्मान की प्राप्ति
ज्योतिष देखना – संतान को कष्ट
जटाधारी साधु देखना – शुभ लक्षण
जहाज देखना – दुर्घटना में फंसने का सूचक
खाली जंजीर देखना – इल्जाम लगेगा
स्वयं को जंजीर में जकडे देखना – समस्याओ से छुटकारा
जल देखना – संकट आएगा
जड़े देखना -शुभ स्वप्न
ज्वालामुखी देखना – स्थान परिवर्तन की पूर्व सूचना
जमीन खोदना – कठिनाई से लाभ हो
जंगल देखना – कष्ट दूर हो
जलेबी खाना – सुख सुविधाय बढे
जलता घर देखना -बीमारी परेशानी बढे
जलता मुर्दा देखना – शुभ समाचार
जादू देखना या करना -धन हानि
जाल देखना (मकडी का ) – शुभ लक्षण
जाल देखना ( मचली का ) -संकट का संकेत
जामुन खाना या देखना – यात्रा पर जाना पड़े
जलूस देखना -नौकरी में उनत्ति हो
जूए देखना या मारना – मानसिक चिंता
जूते से पीटना – मान सम्मान बढे
जूते से स्वयं पीटना – मान सम्मान मिलेगा
जेब खाली देखना -अशुभ है
जेब भरी देखना -खर्च अधिक होने का सूचक
जेल देखना – जग हँसी हो
जेल से छूटना – कार्य में सफलता
जोकर देखना – समय बर्बाद हो
16 स्वप्नों का अर्थ   झ
झगडा देखना -शुभ समाचार
झरना देखना (ठंडे पानी का ) – शुभ है
झरना देखना (गर्म पानी का ) – बीमारी आये
झंडा देखना सफेद या मंदिर का -शुभ समाचार
झंडा देखना हरा – यात्रा में कष्ट
झंडा देखना पीला – बीमारी आये
झाडू लगाना – घर में चोरी हो
झुनझुना देखना – परिवार में ख़ुशी हो
17 स्वप्नों का अर्थ   ट
टंकी खाली देखना – शुभ लक्षण
टंकी भरी देखना – अशुभ घटना का संकेत
टाई सफेद देखना – अशुभ
टाई रंगीन देखना – शुभ
टेलेफोन करना – मित्रो की संख्या में वृद्धि
टोकरी खाली देखना – शुभ लक्षण
टोकरी भरी देखना – अशुभ घटना का संकेत
टोपी उतारना – मान सम्मान बढे
टोपी सिर पर रखना – अपमान हो
18 स्वप्नों का अर्थ   ठ
ठण्ड में ठिठुरना – सुख मिले
19 स्वप्नों का अर्थ   ड
डंडा देखना – दुश्मन से सावधान रहे
डफली बजाना – घर में उत्सव की सूचना
डाक खाना देखना – बुरा समाचार मिले
डाकिया देखना – शुभ सूचना मिले
डॉक्टर देखना – निराशा मिले
डाकू देखना – धन वृद्धि हो
20 स्वप्नों का अर्थ   त
तरबूज देखना – धन लाभ
तराजू देखना – कार्य निष्पक्ष पूर्ण हो
तबला बजाना – जीवन सुखपूर्वक गुजरे
तकिया देखना – मान सम्मान बढे
तलवार देखना – शत्रु पर विजय
तपस्वी देखना -मन शांत हो
तला पकवान खाना – शुभ समाचार मिले
तलाक देना – धन वृद्धि हो
तमाचा मारना -शत्रु पर विजय
तराजू में तुलना – भयंकर बीमारी हो
तवा खाली देखना – अशुभ लक्षण
तवे पर रोटी सेकना – संपत्ति बढे
तहखाना देखना या उसमे प्रवेश करना – तीर्थ यात्रा पर जाने का संकेत
ताम्बा देखना – सरकार से लाभ मिले
तालाब में तैरना – स्वस्थ्य लाभ
ताला देखना -चलते काम में रूकावट
ताली देखना – बिगडे काम बनेगे
तांगा देखना – सुख मिले, सवारी का लाभ हो
ताबीज बांधना – काम में हानि हो
ताबीज़ देखना – शुभ समय का आगमन
ताश देखना – मित्र अथवा पडोसी से लडाई हो
तारा देखना – अशुभ
तितली देखना – विवाह हो या प्रेमिका मिले
तितली उड़ कर दूर जाना – दांपत्य जीवन में क्लेश हो
तिल देखना – कारोबार में लाभ
तिराहा देखना – लडाई झगडा हो
त्रिशूल देखना – अच्छा मार्ग दर्शन मिले
त्रिमूर्ति देखना – सरकारी नौकरी मिले
तितली पकड़ना – नई संतान हो
तिजोरी बंद करना – धन वृद्धि हो
तिजोरी टूटती देखना – कारोबार में बढोतरी
तिलक करना – व्यापार बढे
तूफान देखना या उसमे फँसना – संकट से छुटकारा मिले
तेल या तेली देखना – समस्या बढे
तोलना – महंगाई बढे
तोप देखना -शत्रु पर विजय
तोता देखना – ख़ुशी मिले
तोंद बढ़ी देखना – पेट में परेशानी हो
तोलिया देखना – स्वस्थ्य लाभ हो
21 स्वप्नों का अर्थ   थ
थप्पर खाना – कार्य में सफलता
थप्पर मारना – झगडे में फँसना
थक जाना – कार्य में सफलता मिले
थर थर कंपना -मान सम्मान बढे
थाली भरी देखना – अशुभ
थाली खाली देखना – सफलता मिले
थूकना – मान सम्मान बढे
थैली भरी देखना – जमीन जायदाद में वृद्धि
थैली खाली देखना – जमीन जायदाद में झगडा हो
22 स्वप्नों का अर्थ ध
धनिया हरा देखना – यात्रा पर जाना पढ़े
धतूरा खाना – संकट से बचना
धनुष देखना – सभी कर्मो में सफलता मिले
धब्बे देखना – शुभ संकेत
धरोहर लाना या देखना – व्यापार में हानि हों
धार्मिक आयोजना देखना – शुभ संकेत
धागा देखना – कार्य में वृद्धि हों
धुरी देखना – मान सम्मान में वृद्धि हों
धमाका होना – संकटों में वृद्धि हो
धार्मिक स्थल देखना -मंदिर – शुभ कार्य में धन लगे
धार्मिक स्थल देखना -गुरुद्वारा – ज्ञान की प्राप्ति हो
धार्मिक स्थल देखना -मस्जिद – समस्या का समाधान मिले
धार्मिक स्थल देखना -चर्च – मानसिक शांति बढे
धर्म ग्रन्थ देखने का फल – रामायण – संघर्ष के बाद सफलता मिले
धुआ देखना – कष्ट बढे , परेशानी में फंसना पढ़े
धुंध देखना – शुभ समाचार मिले
धुन सुनना – परेशानी बढे
धूमधाम देखना – परेशानी बढे
धूल देखना – यात्रा हों
धोबी देखना – काम में सफलता मिले
धोती देखना – यात्रा पर जाना पड़े

23 स्वप्नों का अर्थ   न
नल खुला देखना – काम शीघ्र होगा
नल बंद देखना – काम कठिनाई से होगा
नरक देखना- कठिनाइयाँ बढे
नगीना देखना – सरकार से लाभ हों , शुभ समाचार मिले
नगाडा देखना – धन लाभ , प्रसिधी मिले
नमाज़ पढ़ते देखना – कष्ट दूर हों , शान्ति मिलेगी
नमक खाना – झगडे में फँसना
नमक देखना – बीमारी दूर हों , व्यापार में लाभ हों
नमकदानी देखना – गृहस्थी का सुख मिले
नशे में स्वयं को देखना – धन वृद्धि हों परन्तु परिशानिया बढे
नरगिस का फूल देखना – पारिवारिक सुख मिले
नदी नाले में गिरते देखना – अनेक संकट आने का संकेत
नक्कता मनुष्य देखना – धन तथा मान सम्मान बढे
नक़ल करना – काम में असफलता मिले
नक़ल करते देखना – यात्रा में रुकावट , काम बिगडे
नक्शा बनाना – नई योजनाये शुरू हों
नकसीर बहना – दिमागी परेशानिया आये
नकाब लगाना – गंभीर बीमारी आये
नट देखना – पारिवारिक सुख शाति मिले
नसवार सूंघना – मानसिक परिशानिया बढे
नदी देखना – भविष्य सुखद हों
नदी में स्नान करना – काम में सफलता मिले
नदी में गिरना – संकट के बाद सुख मिले
नहर खोदना – कार्य सम्बन्धी योजनाये मिले
नंगा होना – विलासिता बढे
नदी , वृक्ष, या पर्वत देखना – दुःख दूर हो , धन मिले
नाटक देखना – भविष्य अनिश्चित हो
नाखून टूटना – सफलता देरी से मिले
नाक बहुत बड़ी देखना – मान सम्मान बढे , प्रमोशन हो
नाखून देखना – काम में परेशानी हो
नाक से खून बहना – धन में वृद्धि हो
नाटक देखना – गृहस्थी का सुख मिले
नाटक में भाग लेना – धोखा मिले
नारियल देखना – धन लाभ हो , अच्छा भोजन मिले
नाक पर चोट लगना -मान सम्मान में हानि हो
नासूर देखना – बीमारी से छुटकारा मिले
नापतोल करना – व्यापार में हानि हो
नाग के बिल में जाते देखना – धन संग्रह हो
नाग के बिल से बाहर निकलते देखना – धन हानि हो
नाग का डंग मारना – मान सम्मान बढे
नाग का घर में देखना – देखे गए स्थान की पवित्रता का संकेत
नाग उठाये देखना – - संपत्ति प्राप्त का संकेत
नाना नानी देखना – पारिवारिक सुख बढे
नाडा बंधना या टूटना – पारिवारिक कलेश बढे
नाला देखना – गहरा संकट आये
नाव देख्ना – गृहस्थी का सुख मिले
नाव में बैठना – अनेक संकट आये
नाई से हजामत बनवाना – धोखा मिले
नारियल देख्ना – शुभ संकेत , धार्मिक आयोजना हो
नाला देख्ना – कार्य में सफलता मिले
नारद देख्ना – धन लाभ परन्तु लड़ाई झगडा हो
नाभि देख्ना – प्रगति तथा धन लाभ हो
निरादर देख्ना – मान सम्मान बढे
निशाना लगाना – पुरानी इच्छा पूर्ण हो
नितम्ब देख्ना – गृहस्थी का सुख मिले
नीम का व्रक्ष देख्ना -बिमारी दूर होना
नीलम देख्ना -शुभ समाचार मिले , दुश्मन परस्त हो
नींद में सोना या नींद से उठाना – धन लाभ हो
नीलकंठ देख्ना – मान सम्मान बढे , विवाह हो
नींबू काटना या निचोड़ना – धार्मिक कार्य हो
नुकीली चीज़ से चोट लगना – वाद विवाद में फसना
नुकीला जूता देखना – मान सम्मान बढे
नेवला देखना – संकट समाप्त हो , स्वर्णाभूषण मिले
24 स्वप्नों का अर्थ   प
परी देखना – सफलता मिले , स्वस्थ्य लाभ हो , मान सम्मान में वृद्धि हो , धन बढे
पहाड़ देख्ना – शत्रु पर विजय हो
पम्प से पानी निकालना – व्यवसाय में रुकावट आये
प्रसाद बाँटना – रोग कम हो , समृध्धि बढे
पहाड़ पर चढ़ना – मान सम्मान तथा धन बढे
पहाड़ से उतरना -व्यापार में मंदा हो
परदेशी देखना – मनोकामना पूरण हो
पटका बांधना – मान सम्मान तथा धन बढे
पटाखा देखना – ख़ुशी मिले
पलंग देखना – अपमानित होना पड़े
पनघट सूना देखना – कही से निमंत्रण आये
पनघट पर भीड़ देखना – परिवार में उत्सव हो
परिवार देखना – शुभ फल मिले
पनीर खाना – धन वृद्धि हो
पपीता खाना – पेट खराब हो
पहरेदार देखना – चोरी की सम्भावना
पंजीरी खाना – बीमारी आने की सूचना
परछाई देखना अशुभ समाचार
पगड़ी देखना – धन हानि हो
पर्दा सफेद देखना – मान – सम्मान में हानि
पर्दा काला देखना – धन वृद्धि हो
पर्स देखना – गुप्त कार्य पूरा हो
पहिया देखना – प्रगति तेज हो
पंडाल देखना – किसी बड़े उत्सव में शामिल होना
पत्तल देखना या उसमें खाना -शुभ लक्षण
पत्थर देखना या मारना – सरकार से लाभ हो
पत्र लिखना – परेशानी हो
प्याज खाना या खिलाना – दुर्भाग्य पूर्ण घटना घटे
प्रशंसा सुनना – अशुभ संकेत
प्रसाद बाँटना – शुभ फल मिले
प्याऊ बनवाना – धन वृद्धि हो
परीक्षा में बैठना – कार्य में असफलता
पतंग उडाना – लम्बी यात्रा हो
पढ़ना या पढाना – काम में सफलता
पकवान खाना या बनाना – दुखो में वृद्धि हो
पहिया देखना – यात्रा सफल हो
पानी देखना – सुख समृधि बढे
पानी पीते देखना – धन वृद्धि हो
पोलिश करना -नौकरी में तरक्की हो
पान का वृक्ष देखना – संतान की समृधि हो
पागल देखना – शुभ कार्य में वृद्धि हो
पानदान देखना – मित्रता में वृद्धि हो
पाउडर लगाना – मान सम्मान बढे
पार्वती माता देखना – सुख समृधि बढे
पायल बजते देखना – स्त्री से वियोग हो
पारितोषिक मिलना – अपमानित होना पढ़े
पालकी पर बैठना – स्वस्थ्य खराब हो
पालना देखना – पारिवारिक सुख मिले
पालना झुलाना – संतान के लिए कष्ट बढे
पार्सल लेना – अचानक लाभ मिले
पाताल देखना – मान सम्मान बढे , प्रशंसा मिले
पाद मरना या अनुभव करना – व्यापार में लाभ हो व्यवसायिक यात्रा
पार करना (तैरकर) – मान सम्मान बढे
पिटारा देखना – धन लाभ हो
पिजरा देखना – स्वस्थ्य खराब हो
पिजरा खाली देखना – धन वृद्धि हो
पिजरे में पक्षी देखना – गृह कलेश हो
पीपल देखना – शुभ सन्देश मिले
पीला रंग देखना स्वास्थ्य खराब हो
पीठ देखना – मित्र से लाभ हो
पीतल के बर्तन देखना – धन लाभ हो , व्यापार बढे
पीली सरसों देखना – सब प्रकार से शुभ हो
पुस्तकालय देखना – समृधि बढे
पुस्तक खोना – मानहानि हो
पुस्तक मिलना – मान सम्मान में वृद्धि हो
पुजारी बनना – जीवन में उन्नति हो
पुडिया बंधना – शारीरिक कष्ट बढे
पुरस्कार मिलना – हानि हो
पुल पार करना – धन लाभ हो
पुल टूटते देखना – संकट से छुटकारा हो
पूजा पाठ करना – सुख शान्ति तथा समृद्धि की सूचना
पूर्वज देखना – शुभ स्वप्ना , समृद्धि बढे
पूजा या प्रार्थना करना – मानसिक शान्ति मिले
प्रेम प्रस्ताव रखना – विवाह में विलंभ हो
पेड़ पौधे देखना – कार्य में लाभ हो
पेटी खोलना – चोरी की संभावना
पेशाब करना – संकट दूर हो , धनप्राप्ति हो
पेढा खाना – मुह में रोग हो
पैर कटे देखना – शत्रु पर विजय हो
पैर खुजलाना – यात्रा शीघ्र हो
पैबंद लगाना – कष्ट के पूर्व सूचना
पैसा मिलना – मुफ्त का धन मिले
पेन पेंसिल देखना – परीक्षा में उत्तीरण हो
पोचा लगाना – स्थान परिवर्तन हो
पोशाक पहनना – बीमारी आने का संकेत
25 स्वप्नों का अर्थ   फ
फलाहार करना – सुख समृद्धि बढे
फटे कपडे देखना – धनहानि हो , चिंताए बढे
फ़कीर देखना – काम में सफलता मिले
फ़रिश्ता देखना – मनोकामना पूर्ण हो
फंदा लगाना या देखना – मुसीबतों से छुटकारा मिले
फफोला टूटना – मुसीबतें समाप्त हो
फवारा देखना – सभी मुसीबते दूर हो ,प्रसन्नता बढे
फाखता देखना – पत्नी की ओर से कष्ट मिले , मानसिक ग्लानी हो
फाटक देखना – मुकदमा समाप्त हो
फाटक पार करना -सफलता मिले
फिटकरी देखना – धन लाभ हो
फांसी लगाना – जीवन में दिशा परिवर्तन हो
फिरोजा रत्न देखना – शत्रुओं पर विजय हो
फूलवारी देखना – मनपसंद विवाह होना , ख़ुशी मिले
फुल्का खाते देखना – आर्थिक समृद्धि हो , परन्तु शोक समाचार मिले
फुलझडी छूटते देखना – विवाह में सम्मिलित हो
फुहार पढ़ते देखना – धन संमृद्धि बढे
फूलदान देखना – मान सम्मान बढे
फूटी आँख देखना – शारीरिक व् आर्थिक कष्ट बढे
फूंक मारना – सामाजिक कार्यो में मान सम्मान बढे
फूल खिलते देखना – प्रसन्नता बढे , संतान हो
फूल जलते देखना – प्रिय व्यक्ति की मृत्यु देखना
26 स्वप्नों का अर्थ   ब
बतक पानी में देखना – शुभ समाचार मिले
बतख ज़मीन पर देखना -धन हानि हो
बन्दर देखना – धन वृद्धि हो , अच्छा भोजन मिले
बटन लगाना – संकट आने की सूचना
बटन देखना – धन बढे
बरसात देखना शहर पर – खुशहाली बढे
बरसात देखना अपने घर पर – संकट आये
बरसात में छत्री लगाकर चलना – संकट दूर हो
बकरी चुराना या खोना – लडाई हो
बर्फ खाना – चिंताए दूर हो
बर्फ गिरते देखना – आर्थिक समृद्धि हो
बनिए को दरवाज़े पर देखना – क़र्ज़ बढे
बटुआ देखना – धन लाभ हो , रोग दूर हो
बनयान पेहेनना – धन बढे , सुख शान्ति मिले
बगुला देखना – सफ़ेद देखने पर लाभ , काला देखने पर हानि हो
बधाई का सन्देश मिलना – दुखद सूचना मिले
बछिया देखना – शुभ समाचार मिले
बाल गिरते देखना – आर्थिक कष्ट बढे
बाजू काटना – अपमानित होना पढ़े
बाजू पर चोट लगाना – माता पिता के लिए अनिष्टकारक
बाजू कटी देखना – शत्रु पर विजय मिले
बांस देखना – लगातार उन्नति हो
बाज़ देखना – दुर्घटना में फँसना पढ़े
बाज़ द्वारा झपट्टा मारना – पहाड़ से गिरने के लक्षण
बरात में जाना – अशुभ समाचार मिले
बाघ देखना – शत्रु पर विजय हो
बारहसिंघा देखना – दूर स्थान की यात्रा हो
बाढ़ देखना – संकटों से छुटकारा हो
बाढ़ में घिरना – वातावरण सुखद हो
बाढ़ में फंसे आदमियों को बचाना – गृह कलेश बढ़ना
बाढ़ के पानी में तैरना -व्यापार में सफलता मिले
बाढ़ में लोगों को डूबते देखना – लम्बी यात्रा हो
बादल बरसते देखना -पारिवारिक सुख शान्ति या समृद्धि
बादल से बिजली गिरते देखना -अशुभ समाचार मिले
बादल को छूना – धन वृद्धि हो
बाज़ार में स्वयं घूमना – अच्छे समाचार मिले
बाज़ार देखना – धन हानि हो , व्यापार में घाटा हो
बाजीगरी देखना – षडयंत्र में फसना पढ़े
बादाम खाना – स्वस्थ्य खराब हो , अस्पताल में भर्ती होना पढ़े
बादाम देखना – धन वृद्धि हो
बादशाह देखना – धन वृद्धि हो , मान सम्मान बढे
बाल कटे देखना सर के – क़र्ज़ से छुटकारा मिले
बाल काले देखना(अपने सर के) – अधिक धन मिले
बाल सफ़ेद देखना (अपने) – समाज में उच्च स्थान मिले
बाल कटे देखना – गृह कलेश बढे
बाल देखना (हथेली या तलुओं में) – क़र्ज़ में फसना पढ़े
बाल देखना (बगल के या नाभि के नीचे के) – अपमानित होना पढ़े
बातें बहुत करना – काम में वृद्धि हो , मान सम्मान बढे
बालू देखना – धन लाभ हो
बालू छानते देखना – आर्थिक परेशानी बढे
बिछु , सांप या भयानक जीव देखना – धन मिले
बौना देखना – शुभ समय नज़दीक है
बाइबल – ज्ञान में वृद्धि हो
27 स्वप्नों का अर्थ   भ
भण्डार देखना – काफी धन लाभ हो
भटठा देखना – भूमि तथा भवन में वृद्धि हो
भभूत लगाना – शीघ्र विवाह हो तथा गृहस्थी का सुख मिले
भाई देखना – भाई की आयु वृद्धि हो तथा ,रोग दूर हो
भाभी देखना – स्वयं को कष्ट मिले , भतीजा जन्मे
भागते देखना – कष्ट मिटे , अच्छा समय आने वाला है
भंग का नशा करना – अपमानित होना पढ़े
भांड देखना -लडाई झगडा अथवा वाद विवाद में फँसना पड़े
भाला लेकर चलना – शत्रु पर विजय हो
भाला मारना – अपमानित होना पढ़े
भाले के खेल का प्रदर्शन करना – संकट या दुर्घटना आये
भीड़ का छठा देखना – काफी लाभ मिले
भीड़ का काटना – दुःख आये
भिन्डी देखना – सुखो में वृद्धि हो , आलस्य बढे
भिखारी देखना – कार्य के अच्छे परिणाम मिले
भीगते देखना – सुख समृद्धि में वृद्धि हो
भीख मांगना या देना – पारिवारिक सुख – संपत्ति तथा समृद्धि बढे
भीड़ देखना या उसमे चलना – कार्य अधूरा हो
भीड़ को उग्र रूप में देखना – कार्य में सफलता मिले
भूचाल देखना – तबाही आये , जनता पर संकट पढ़े
भूसा देखना – पशुओं से लाभ मिले
भूमिगत स्वयं को देखना – भयंकर बीमारी आये या विपत्ति बढे
भेडिया देखना – विश्वाश घात हो खतरे की सूचना
भेड़ अकेली देखना – अशुभ हो
भेड़ो को समूह देखना – लाभ हो
भैंसा देखना – संघर्ष करने से सफलता मिलेगी
भैस देखना – अच्छा भोजन मिले
28 स्वप्नों का अर्थ   म
मछर देखना – अपमानित होना पड़े
मछली देखना – गृहस्थी का सुख मिले
मखी देखना – धन हानि हो
मकडी देखना – बहुत अधिक मेहनत करनी पड़े
मकान बनते देखना – मान सम्मान में वृद्धि हो
मलाई खाना – धन वृद्धि हो
मंदिर या मस्जिद देखना – खुशहाली बढे
मंदिर में पुजारी देखना – गृह कलेश बढे
मर जाना – धन वृद्धि हो
मखमल पर बैठना – लम्बी बीमारी आये
मगरमच देखना – शुभ समाचार मिले
मंत्री देखना – मान सम्मान में वृद्धि हो
माला ( पूजा वाली ) शुभ समय आने का संकेत
माला फूलों की पहनाना- मान सम्मान में वृद्धि हो
मातम करना – खुशहाली बढे
माली देखना – घर में समृधि बढे
मिर्च खाना – काम में सफलता मिले
मिर्गी से पीड़ित होना या देखना – बुद्दि तेज हो
मिठाई खाना या बाँटना – बिगडे काम बने
मीट खाना – मनोकामना पूरण हो
मुर्दा उठा कर ले जाते देखना – बिना कमाया माल मिले
मुर्दे को जिन्दा देखना – चिंता दूर हो
मुर्दा शारीर से आवाज़ आना – बना काम बिगड़ जाना
मुर्दों का समूह देखना – गलत सोसाइटी में काम करना पड़े
मुर्दे को नहलाना – धन वृद्धि हो
मुर्दे को कुछ देना – शुभ समाचार
मुर्दे के साथ खाना -अच्छा समय आये
मुर्गा देखना -विदेश व्यापार बढे
मुर्गी देखना -गृहस्थी का सुख मिले
मोहर लगाना – धन वृद्धि हो
मुरझाये फूल देखना – संतान को कष्ट हो
मुंडन कराना या होते देखना -गृहस्थी का तनाव दूर हो
मुहर्रम देखना – कारोबार में उन्नत्ति हो
मूंगा पहनना या देखना – कारोबार में उन्नत्ति हो
मूंग मसूर या मोठ देखना – अनेक परेशानी हो
मोची देखना -यात्रा लाभदायक हो
मोम देखना – झगडे या विवाद में समझोता हो
मोर नाचते देखना – शुभ समाचार मिले
मोर मोरनी देखना – दांपत्य सुख में वृद्धि हो
मोजा पहनना – पति पत्नी में प्रेम बड़े
मोमबत्ती देखना – विवाह हो
29 स्वप्नों का अर्थ   य
यन्त्र बनाना या देखना – अशुभ फल हो
यग करना या देखना – धन वृद्धि हो
यमराज देखना – बीमारी दूर हो
योजना बनाना -अशुभ फल
योगासन करना – शुभ फल
30 स्वप्नों का अर्थ   र
रजाई ओड़ना – धन मिले
रजाई नई बनवाना – स्थान परिवर्तन हो
रजाई फटी पुरानी देखना – शुभ कार्य के लिए निमंत्रण हो
रस्सी लपेटना – सफलता मिले
रथ देखना -यात्रा करनी पड़े
रसभरी खाना – विवाह हो
रसगुल्ला खाना – धन वृद्धि हो
रद्दी देखना – रुका हुआ धन मिले
रंग करना – सम्बंधित वास्तु की हानि हो
रक्षा करना – मान सम्मान में वृद्धि हो
रफू करना – नई वस्त्रो या आभूषनो की प्राप्ति हो
रक्षा बंधन देखना – धन वृद्धि हो
रसोई घर गन्दा देखना – अच्छा भोजन मिले
रसोई घर स्वछ देखना -धन का संकट आये
रास्ता देखना (साफ) -तरक्की मिले
रास्ता देखना (टेड़ा मेडा ) परेशानी हो
राख देखना – धन नाश हो
रॉकेट देखना – धन संपत्ति में वृद्धि हो
रात देखना -परेशानी आये
राइ देखना – काम में रूकावट आये
राक्षश देखना – संकट आये
रामलीला देखना – सुख सौभाग्य में वृद्धि
रिश्वत लेना – सावधान रहे
रिवाल्वर चलाना – शत्रुता समाप्त हो
रिक्शा देखना या उसमे बैठना – प्रसन्त्ता बढे
रेलवे स्टेशन देखना -लाभदायक यात्रा हो
रेल देखना – कष्ट दायक यात्रा हो
रेडियो बजता देखना – प्रगति में रूकावट हो
रेफ्रिजिरटर देखना – आर्थिक लाभ हो
रेगिस्तान देखना – धन सम्पदा में वृद्धि
रोजा रखना – आर्थिक संकट आने का संकेत
रोना – मान सम्मान में वृद्धि हो
रोशनदान से देखना – विदेश से धन की प्राप्ति हो
रोटी खाना या पकाना – बीमारी आने का संकेत
रोटी बाँटना – धन लाभ हो
रोटी फैंकना या गिरी हुई देखना – देश में मन न लगे , विदेश की यात्रा शीघ्र हो
31 स्वप्नों का अर्थ   ल
लंगर खाना या देखना -धन वृद्धि हो ,व्यवसाय में तेजी आये
लंगूर देखना -शुभ समाचार मिले
लंगोटी देखना -आर्थिक कठिनाईया बढे
लकीर खींचना -गृह कलेश बढे , अनावश्यक झगडे हो
लटकना या लटकते हुए देखना -सोचा हुआ काम शीघ्र बने , आर्थिक समृद्धि बढे
लड़का गोद में देखना (अपना) – धन वृद्धि हो , व्यवसाय में तेजी आये
लड़का गोद में देखना (अनजान) – परेशानी बढे ,घर में कलेश हो
लड़ना – विद्रोहियों के साथ – देश तथा समाज में अशांति फैले
लगाम देखना -मान सम्मान बढे , धन वृद्धि हो
लक्ष्मी का चित्र देखना -धन तथा सुख सौभाग्य की वृद्धि हो
लहसुन देखना – धन वृद्धि हो परन्तु अन्न व् सब्जी के व्यापार में हानि हो
लक्कड़ बाघ देखना – नयी मुसीबतें आने का संकेत
लपटें देखना (आग की ) – परिवार में शान्ति बढे , झगडा ख़तम हो
लाल आँखे देखना – शुभ फल की प्राप्ति
लालटेन जलना – चलते हुए काम में रोड़ा अटके
लालटेन बुझाना – अनेक समस्या स्वयं निपट जाये
लाट या मीनार देखना -आयु वृद्धि हो , सुख शान्ति बढे
लाठी देखना -सुख शांति में वृद्धि हो ,अच्छे सहयोगी मिले
लाल टीका देखना -सत्संग से लाभ हो, कामो में सफलता मिले
लाल वस्त्र दिखाई देना – धन नाश हो ,खतरा बढे
लाल आकाश में देखना -लडाई झगडा व् आतंक में वृद्धि ,धन तथा देश की हानि हो
लिबास (अपने कपडे)सफ़ेद देखना – सुख , शान्ति तथा समृद्धि में वृद्धि हो
लिबास हरा देखना – धन दौलत बढे , स्वस्थ्य अच्चा हो
लिबास पीला देखना -स्वस्थ्य में खराबी आये ,चोरी हो
लिबास मैला देखना -धन हानि हो ,खराब समय आने वाला है
लिफाफा खोलना -समाज में मानहानि हो , गुप्त बात सामने आये
लोहा देखना – काफी मेहनत करने के बाद सफलता मिले
लोहार देखना – मान सम्मान बढे , शत्रुओं पर विजय प्राप्त हो
लोबिया खाना – धन तथा व्यवसाय में वृद्धि हो
लौकी देखना या खाना -शुभ समाचार मिले , धन वृद्धि हो ,नौकरी में पदोंनिती हो
32 स्वप्नों का अर्थ   व
वकील देखना – कठिनाई बढे , झगडा हो
वजीफा पाना -काम में असफलता मिले , धनहानि हो
वरमाला देखना या डालना -घर में कलेश हो मित्र से लडाई हो
वसीयत करना -भूमि सम्बन्धी विवाद हो , घर में तनाव बढे
वायदा करना – झूठ बोलने की आदत पढ़े
वाह वाह करके हसना -मान सम्मान का ध्यान रखे , शत्रु बदनाम करेंगे
वार्निश करना (घर की वस्तुओं पर)- परिवार पर संकट आये, स्वस्थ्य खराब हो
वाष्प उड़ते देखना – धनहानि हो , दुर्घटना तथा शारीरिक कष्ट हो
विदाई समारोह में भाग लेना – व्यापार में तेजी आये , धन वृद्धि हो
विमान देखना – धन हानि हो
विस्फोट देखना या सुनना – नया कारोबार शुरू हो , बड़े व्यक्तियों से मुलाकात हो
वीणा बजाना (स्वयं द्वारा) – धन धान्य तथा समृद्धि प्राप्त हो
वीणा बजाना – शोक समारोह में शामिल होना पड़े , (दूसरो द्वारा)मानसिक कष्ट हो
वृद्धा देखना – अशुभ समाचार मिले
33 स्वप्नों का अर्थ   श
शंख बजाना, देखना, सुनना – शुभ समाचार
शंकरजी को देखना – सुखो में वृद्धि
शरबत देखना – बीमारी दूर हो
शतरंज देखना – समय व्यर्थ में बर्बाद हो
शराब देखना – बिना कमाया धन मिले
शराब पीना – धन वृद्धि हो
शमा (दीपक )देखना – मान सम्मान में वृद्धि हो
शमा दान देखना – बीमारी दूर हो
शहद की मक्खी देखना – धन वृद्धि हो
शहद देखना – शुभ कार्यो में रूचि बढे
शरीफा खाना या देखना – स्वस्थ्य में लाभ हो
शहतूत देखना – अच्छा भोजन मिले
शहनाई बजाना या देखना – दुखद समाचार मिले
शमशान पर जाना – आयु वृद्धि हो
शहर को जाना – धन वृद्धि हो
शहर का विनाश देखना – अपना निवास स्थान खाली करना पड़े
शव के साथ चलना – भाग्य वृद्धि
शरीर की मालिश करना – रोग बढे
शमियाना देखना – धन वृद्धि हो
श्राद्ध करना – अच्छा समय आने की सूचना
शाल ओड़ना -अपयश मिले
शार्क मछली देखना – विदेश यात्रा हो
शिकार करना – परिवार पर संकट आये
शीशा देखना – लम्बी बीमारी आये
शीशा तोड़ना – परेशानी आये
शेर देखना – शत्रु पर विजय हो
शोक मगन होना – घर में उत्सव का आयोजन हो
34 स्वप्नों का अर्थ   श्र
श्रंगार करना – प्रेम प्रसंगों में वृद्धि हो
श्रंगार दान टूटना – दांपत्य जीवन में सुख व् सफलता मिले
35 स्वप्नों का अर्थ   ह
हड्डी देखना – शुभ समाचार मिले , स्वस्थ्य में लाभ
हरियाली देखना – मन प्रसन्न रहेगा
हल्दी की गाँठ देखना – आर्थिक प्रगति हो
हल्दी पीसी देखना – परेशानी आये हकीम देखना – बीमारी आये परन्तु ज्ञान भी बढे
हत्या होते देखना – दीर्घायु हो , दुश्मनों से सावधान रहे
हत्या करना – लडाई झगडा शान्ति हो
हरा रंग देखना – सुख शान्ति में वृद्धि हो
हथौडा देखना – सम्मान मिले परन्तु परिश्रम अधिक हो
हशीश पीते देखना – कष्टों में वृद्धि हो
हजामत बनते देखना – ठगे जाने की संभावना
हज करना – मनोकामना पूर्ण हो
हमला होना – दुर्घटना की पूर्व
हवा में उड़ते देखना – यात्रा में कष्ट आये
हवा तेजी से चलते देखना – दुखो में वृद्धि हो
हवा माध्यम चलते देखना -शत्रु हानि पहुंचाए
हथकडी देखना – परेशानियां बढे
हथेली देखना (पुरुष का) – शत्रुता बढे
हथेली देखना (स्त्री का ) – प्यार बढे
हवेली देखना – किसी नजदीकी व्य समाचार
हलवाई की दूकान देखना – इच्छाए बहुत बढे परन्तु अपूर्ण रहे
हवाई जहाज़ देखना – व्यापार में अधिक झूठ बोलना पढ़े , लाभ हो
हँसना – अकारण परेशानी बढे
हसती स्त्री देखना – गृह कलेश बढे
हसाना (दूसरों के द्वारा ) – मनोकामना पूर्ण हो
हसुली देखना – जीवन में आनंद बढे
हाथ देखना – अच्चे मित्रों से मुलाकात हो
हाथ कटा हुआ देखना – लडाई में हानि हो
हाथ पर चित्रकारी देखना – आजीविका के लिए संघर्ष करना पढ़े
हाथ धोना – काम अपूर्ण रहे , नाकामयाबी मिले
हाथ से आसमान छूना – मनोकामना पूर्ण हो , काम में तरक्की मिले
हाथ बंधे देखना – बुरे काम का बुरा नतीजा भुगतना पढ़े
हाथी देखना – संतान हो , नया कार्य शुरू हो
हाथी की सवारी करना – मान सम्मान बढे , सरकार से लाभ हो
हाथी मस्त देखना – धनवृद्धि हो
हिसाब किताब लगाना – अपव्यय हो , काम में सावधानी बरते
हिरन देखना – सफलता मिले , शीघ्र विवाह हो , धन लाभ हो
हिमपात देखना – बिगडे काम बने , काफी धन की प्राप्ति हो
हिमखंड देखना – किसी नजदीकी मित्र से धोखा मिलने की संभावना है
हीरा देखना – धन वृद्धि हो परन्तु संघर्ष अधिक हो
हुंकार सुनना – शत्रु से पराजय होना पड़े
हुक्का पीना या पिलाना – मित्रता बढे
हुक्का पीते देखना – व्यर्थ में समय खराब हो
हुकुम का इक्का देखना – चलते हुए काम में रुकावट आएगी , निराशा बढे
होटल देखना – काम में तंगी आये , धन की कमी हो





36 स्वप्नों का अर्थ   द
दरवाजा बंद देखना – चिंता बढे
दही देखना -धन लाभ हो
दलिया खाना या देखना – स्वस्थ्य कुछ समय के लिए ख़राब हो
दरार देखना – घर में फूट
दलदल देखना – काम में आलस्य हो
दरवाजा खोलना – नया कार्य शुरू हो
दरवाजा गिरना – अशुभ संकेत
दक्षिणा लेना या देना – व्यापार में घाटा
दमकल चलाना – धन वृद्धि हो
दर्पण देखना – मानसिक अशांति
दस्ताना पहनना – शुभ समाचार
दहेज़ लेना या देना – चोरी की सम्भावना
दरजी को काम करते देखना – कोर्ट से छुटकारा
दवा खाना या खिलाना – अच्छा मित्र मिले
दवा गिरना – बीमारी दूर हो
दांत टूटना – शुभ
दांत में दर्द देखना -नया कार्य शुरू हो
दाडी देखना – मानसिक परेशानी हो
दादा या दादी देखना जो मृत हो – मान सम्मान बढे
दान लेना – धन वृद्धि हो
दान देना – धन हानि हो
दाह क्रिया देखना – सोचा हुआ कार्य बनने के संकेत
दातुन करना -कष्ट मिटे
दाना डालना पक्षियो को – व्यापार में लाभ हो
दाग देखना – चोरी हो
दामाद देखना -पुत्री को कष्ट हो
दाल कपड़ो पर गिरना -शुभ लक्षण
दाल पीना – कार्य में रूकावट
दाढ़ी सफेद देखना – काम में रूकावट
दाढ़ी काली देखना – धन वृद्धि हो
दियासिलाई जलाना – दुश्मनी बढे
दीपक बुझा देना – नया कार्य शुरू हो
दीपक जलाना – अशुभ समाचार मिले
दीवाली देखना – व्यापार में घाटा हो
दीपक देखना – मान सम्मान बढे
दुल्हन देखना – सुख मिले
दुकान करना – मान सम्मान बढे
दुकान बेचना – मानहानि हो
दुकान खरीदना – धन का लाभ होना
दुकान बंद होना – कष्टों में वृद्धि हो
दुपट्टा देखना – स्वस्थ्य में सुधार हों
दूल्हा /दुल्हन बनना – मानहानि हों
दूल्हा /दुल्हन बारात सहित देखना -बीमारी आये
दूरबीन देखना – मान सम्मान में हानि हों
दूध देखना – आर्थिक लाभ मिले
दुकान पर बैठना – प्रतिष्ट बढे,धन लाभ हों
देवता से मंत्र प्राप्त होना – नए कार्य में सफलता
देवी देवता देखना – सुख संपत्ति की वृद्धि होना
दोना देखना – धन संपत्ति प्राप्त होना
दोमुहा सांप देखना – दुर्घटना हों, मित्र द्वारा विश्वासघात मिले
दौड़ना – कार्य में असफलता हों
देवी देवता देखना – कृष्ण – प्रेम संबंधो में वृद्धि
देवी देवता देखना – राम – सफलता मिले
देवी देवता देखना – शिव – मानसिक शांति बढे
देवी देवता देखना – विष्णु – सफलता मिले
देवी देवता देखना – ब्रह्मा – अच्छा समय आने वाला है
देवी देवता देखना – हनुमान -शत्रु का नाश हो
देवी देवता देखना – दुर्गा – रोग दूर हो
देवी देवता देखना – सीता – पहले कष्ट मिले फिर समृधि हो
देवी देवता देखना – राधा – शारीरिक सुख मिले
देवी देवता देखना – लक्ष्मी – धन धन्य की प्राप्ति हो
देवी देवता देखना – सरस्वती -भविष्य सुखद हो
देवी देवता देखना – पार्वती – सफलता मिले
देवी देवता देखना – नारद -दूर से शुभ समाचार मिले


सुनील भगत

शनिवार, 24 अक्टूबर 2015

माँ काली के विशिष्ट मन्त्र की साधना :

परब्रह्म परमेश्वर के किसी भी स्वरूप, अवतार अथवा देवी – देवता की उपासना के अंतिम चरण में उनके किसी मन्त्र की कम से कम एक माला का जप अवश्य किया जाता है। प्रायः उनके नाम के साथ ‘ॐ’ तथा ‘नमः’ लगातार यह जप करने का विधान है। इस रूप में यह नाम ही उस देवता के मन्त्र का रूप ले लेता है।इसके साथ ही हनुमान जी, भगवान भैरवजी, माँ काली और भवानी दुर्गा के कुछ चेटक मन्त्र भी होते हैं। विशिष्ट कामनाओं की पूर्ती हेतु इस प्रकार के मन्त्रों का उनकी निर्धारित संख्या में जप और उसके बाद उसका दशांश हवन किया जाता है। माँ काली के ऐसे दर्जनों मन्त्र हैं। इसके साथ ही सबसे अधिक तांत्रिक सिद्धियां मातेश्वरी काली या फिर भगवान भैरवनाथ की ही की जाती है। तांत्रिक सिद्धहियों का तो मुख्य आधार ही यंत्र को सम्मुख रखकर मन्त्रों का बहुत बड़ी संख्या में जप है। जहाँ अन्य देवी – देवताओं के दो – चार और कुछ के दर्जन एक मन्त्र हैं, कहीं माँ काली के सौ से भी अधिक विशिष्ट मन्त्र हैं। ऐसा होना स्वाभाविक ही है। जिस प्रकार माता काली के स्वरूप और शक्तियां सभी देवताओं से अधिक हैं, ठीक उसी प्रकार सबसे अधिक है माँ काली के मन्त्र भी। यहाँ माता काली के शीग्र फलदायक और प्रबल शक्तिशाली मन्त्रों तथा अनेक विभित्र रूपों के भी मन्त्रों का संकलन सभी मन्त्रों में, ‘क्रीं, हूं, हीं और स्वाहा’ शब्दों का प्रयोग होता है।
इनमें ‘क्री’ का तो अत्यंत विशिष्ट महत्व है। इसमें अक्षर ‘क’ जलस्वरूप और मोक्ष प्रदायक माना जाता है। ‘क्र’ में लगा आधा ‘र’ अग्रि का प्रतीक तथा सभी प्रकार के तेजों का प्रदायक है। ‘ई’ की मात्रा मातेश्वरी के तीन कार्यों – सृष्टि की उत्पत्ति, पालन – धारण और लयकर्त्ता की प्रतीक है जबकि ‘ मात्रा’ के साथ लगा हुआ ‘बिंदू’ उनके ब्रह्मस्वरूप का द्योतक है।
इस प्रकार केवल ‘क्री’ शब्द ही मातेश्वरी के एक पूर्ण मन्त्र का रूप ले लेता है। ‘हूं’ का प्रयोग अधिकांश मन्त्रों में बीजाक्षर के रूप में होता है। इसे ज्ञान प्रदायक माना जाता है।
‘हीं’ शब्द ‘ई’ की मात्रा के समान आद्याशक्ति के सृष्टि – रचयिता, धारणकर्त्ता और लयकर्त्ता रूपों का प्रतीक तथा ज्ञान का प्रदायक है। जहाँ तक मन्त्रों के अंत में लगने वाले ‘स्वाहा’ शब्द का प्रश्र है, यह सभी मन्त्रों का मातृस्वरूप है तथा सभी पापों का नाशक माना जाता है। मन्त्रों में प्रयुक्त होने वाले अन्य अक्षरों के भावार्थ भी इसी प्रकार गूढ़ और रहसयपूर्ण होते हैं। उन अक्षरों और उनसे प्रास ध्वनि का यह रहस्य ही इन मन्त्रों को शक्ति प्रदान करता है।

एकाक्षर मन्त्र – क्रीं

यह काली का एकाक्षर मन्त्र है, परन्तु इतना शक्तिशाली है कि शास्त्रों में इसे महामंत्र की संज्ञा दी गई है। इसे मातेश्वरी काली का ‘प्रणव’ कहा जाता है और इसका जप उनके सभी रूपों की आराधना, उपासना और साधना में किया जा सकता है। वैसे इसे चिंतामणि काली का विशेष मन्त्र भी कहा जाता है।

द्विअक्षर मन्त्र – क्रीं क्रीं

इस मन्त्र का भी स्वतन्त्र रूप से जप किया जाता है लेकिन तांत्रिक साधनाएं और मन्त्र सिद्धि हेतु बड़ी संख्या में किसी भी मन्त्र का जप करने के पहले और बाद में सात – सात बार इन दोनों बीजाक्षरों के जप का विशिष्ट विधान है।

त्रिअक्षरी मन्त्र – क्रीं क्रीं क्रीं

यह काली की तांत्रिक साधनाओं और उनके प्रचंड रूपों की आराधनाओं का विशिष्ट मन्त्र है। द्विअक्षर मन्त्र के समान ही इन दोनों में से किसी एक को मन्त्र सिद्धि अथवा मन्त्रों का बड़ी संख्या में जप करते समय अनेक तंत्र – साधक प्रारंभ और अंत में सात – सात बार इसका स्तवन करते हैं।

सर्वश्रेष्ठ मन्त्र – क्रीं स्वाहा

महामंत्र ‘क्रीं’ में ‘स्वाहा’ से संयुक्त यह मन्त्र उपासना अथवा आराधना के अंत में जपने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

ज्ञान प्रदाता मन्त्र : ह्रीं

यह भी एकाक्षर मन्त्र है। माँ काली की आराधना अथवा उपासना करने के पश्चात इस मन्त्र के नियमित जप से साधक को सम्पूर्ण शास्त्रों का ज्ञान प्राॅस हो जाता है। इसे विशेष रूप से दक्षिण काली का मन्त्र कहा जाता है।

चेटक मन्त्र

उपरोत्त्क सभी मन्त्रों का विशेष प्रयोजनों के लिए विशिष्ट संख्या में किया जा सकता है। वैसे सभी कामनाओं की पूर्ति, हर प्रकार के कष्टों के निवारण और माँ की विशेष अनुकम्पा के लिए चेटक मन्त्रों को उनके साथ वर्णित संख्या में जपा जाता है। छह से इक्कीस अक्षरों तक के ये मन्त्र निम्रवत हैं –

क्रीं क्रीं क्री स्वाहा

पांच अक्षर के इस मन्त्र के प्रणेता स्वयं जगतपिता ब्रह्मा जी हैं। यह सभी दुखों का निवारण करके धन – धान्य बढ़ता है।

क्रीं क्रीं फट स्वाहा

छह अक्षरों का यह मन्त्र तीनों लोकों को मोहित करने वाला है। सम्मोहन आदि तांत्रिक सिंद्धियों के लिए इस मन्त्र का विशेष रूप से जप किया जाता है।

क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा

धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जीवन के चारों ध्येयों की आपूर्ति करने में समर्थ है। आठ अक्षरों का यह मन्त्र। उपासना के अंत में इस मन्त्र का जप करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

ऐं नमः क्रीं क्रीं कालिकायै स्वाहा

ग्यारह अक्षरों का यह मन्त्र अत्यंत दुर्लभ और सर्वसिंद्धियों को प्रदान करने वाला है। उपरोत्त्क पांच, छह, आठ और ग्यारह अक्षरों के इन मन्त्रों को दो लाख की संख्या में जपने का विधान है। तभी यह मन्त्र सिद्ध होता है।

क्रीं हूं हूं ह्रीं हूं हूं क्रीं स्वाहा।
क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।
नमः ऐं क्रीं क्रीं कालिकायै स्वाहा।
नमः आं आं क्रों क्रों फट स्वाहा कालिका हूं।
क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा।

माँ काली के ये पांच मन्त्र समान रूप से प्रभावशाली हैं। इनमें से प्रत्येक का एक लाख की संख्या में जपकर सिद्ध करने का विधान है।

~ पं. शशि मोहन बहल

सुनील भगत

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2015

यह वस्तुएँ देव पूजा के योग्य नहीं रहती हैं

1. घर में पूजा करने वाला एक ही मूर्ति की पूजा नहीं करें। अनेक देवी-देवताओं की पूजा करें। घर में दो शिवलिंग की पूजा ना करें तथा पूजा स्थान पर तीन गणेश नहीं रखें।

2. शालिग्राम की मूर्ति जितनी छोटी हो वह ज्यादा फलदायक है।

3. कुशा पवित्री के अभाव में स्वर्ण की अंगूठी धारण करके भी देव कार्य सम्पन्न किया जा सकता है।

4. मंगल कार्यो में कुमकुम का तिलक प्रशस्त माना जाता हैं। पूजा में टूटे हुए अक्षत के टूकड़े नहीं चढ़ाना चाहिए।


5. पानी, दूध, दही, घी आदि में अंगुली नही डालना चाहिए। इन्हें लोटा, चम्मच आदि से लेना चाहिए क्योंकि नख स्पर्श से वस्तु अपवित्र हो जाती है अतः यह वस्तुएँ देव पूजा के योग्य नहीं रहती हैं।


6. तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए क्योंकि वह मदिरा समान हो जाते हैं।


7. आचमन तीन बार करने का विधान हैं। इससे त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश प्रसन्न होते हैं। दाहिने कान का स्पर्श करने पर भी आचमन के तुल्य माना जाता है।


8. कुशा के अग्रभाग से दवताओं पर जल नहीं छिड़के।


9. देवताओं को अंगूठे से नहीं मले। चकले पर से चंदन कभी नहीं लगावें। उसे छोटी कटोरी या बांयी हथेली पर रखकर लगावें।


10. पुष्पों को बाल्टी, लोटा, जल में डालकर फिर निकालकर नहीं चढ़ाना चाहिए।


11. भगवान के चरणों की चार बार, नाभि की दो बार, मुख की एक बार या तीन बार आरती उतारकर समस्त अंगों की सात बार आरती उतारें।


12. भगवान की आरती समयानुसार जो घंटा, नगारा, झांझर, थाली, घड़ावल, शंख इत्यादि बजते हैं उनकी ध्वनि से आसपास के वायुमण्डल के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। नाद ब्रह्मा होता हैं। नाद के समय एक स्वर से जो प्रतिध्वनि होती हैं उसमे असीम शक्ति होती हैं।


13. लोहे के पात्र से भगवान को नैवेद्य अपर्ण नहीं करें।


14. हवन में अग्नि प्रज्वलित होने पर ही आहुति दें। समिधा अंगुठे से अधिक मोटी नहीं होनी चाहिए तथा दस अंगुल लम्बी होनी चाहिए। छाल रहित या कीड़े लगी हुई समिधा यज्ञ-कार्य में वर्जित हैं। पंखे आदि से कभी हवन की अग्नि प्रज्वलित नहीं करें।


15. मेरूहीन माला या मेरू का लंघन करके माला नहीं जपनी चाहिए। माला, रूद्राक्ष, तुलसी एवं चंदन की उत्तम मानी गई हैं। माला को अनामिका (तीसरी अंगुली) पर रखकर मध्यमा (दूसरी अंगुली) से चलाना चाहिए।



16. जप करते समय सिर पर हाथ या वस्त्र नहीं रखें। तिलक कराते समय सिर पर हाथ या वस्त्र रखना चाहिए। माला का पूजन करके ही जप करना चाहिए। ब्राह्मण को या द्विजाती को स्नान करके तिलक अवश्य लगाना चाहिए।

17. जप करते हुए जल में स्थित व्यक्ति, दौड़ते हुए, शमशान से लौटते हुए व्यक्ति को नमस्कार करना वर्जित हैं। बिना नमस्कार किए आशीर्वाद देना वर्जित हैं।


18. एक हाथ से प्रणाम नही करना चाहिए। सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए। बड़ों को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करें।


19. जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं।


20. जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए। जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए।


21. संक्रान्ति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और सन्ध्या के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध हैं।


22. दीपक से दीपक को नही जलाना चाहिए।


23. यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं।


सुनील भगत

नवरात्री की साधना सिद्धि

गुप्त नवरात्री : 

हिन्दू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं। तंत्र साधना आदि के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते हैं। आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इस नवरात्रि के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है।
 

गुप्त नवरात्र पूजा विधि:
गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए।

गुप्त नवरात्रि का महत्त्व :
● देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।
● गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।
● इस नवरात्री की समाप्ति के साथ ही चातुर्मास प्रारंभ हो जाते हैं ,देवशयनी एकादसी से देवउठनी (देवप्रबोधनी )एकादसी के बीच चार माह को ऋषि परंपरा में विशेष महत्त्व प्राप्त है ! 
‘नव शक्ति समायुक्तां नवरात्रं तदुच्यते’। 
नौ शक्तियों से युक्त नवरात्रि कहलाते हैं। देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार माह नवरात्र के लिए निश्चित हैं-
उक्तं – 
‘आश्विने वा ऽथवा माघे चैत्रें वा श्रावणेऽति वा।’
अर्थात आश्विन मास में शारदीय नवरात्रि तथा चैत्र में वासंतिक नवरात्रि होते हैं। माघ व श्रावण के गुप्त नवरात्रि कहलाते हैं वहीं शारदीय नवरात्रि में देवी शक्ति की पूजा व बासंतिक नवरात्रि में विष्णु पूजा की प्रधानता रहती है…। 

● प्रतिदिन नौ दिनों तक यम, नियम, संयम व श्रद्धा से मार्कण्डेय पुराण अंतर्गत दुर्गा सप्तशती का पाठ भक्तगण करते हैं।
‘नमो दैव्ये महादैव्ये, शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै, नियता प्रणताः स्मताम्‌’॥

गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां
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● गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
● गुप्त नवरात्रि में सुबह या विशेष रूप से रात्रि में दिन के मुताबिक देवी के अलग-अलग स्वरूपों का ध्यान कर सामान्य पूजा सामग्री अर्पित करें।
● पूजा में लाल गंध, लाल फूल, लाल वस्त्र, आभूषण, लाल चुनरी चढ़ाकर फल या चना-गुड़ का भोग लगाएं। धूप व दीप जलाकर माता के नीचे लिखे मंत्र का नौ ही दिन कम से कम एक माला यानी 108 बार जप करना बहुत ही मंगलकारी होता है –
सर्व मंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र प्रयोग॥
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र प्रयोग॥ (सदगुरुदेव जी ने आज तक जितने भी प्रयोग कराये है उन सब मे इस का पाठ जरूर किया है )
यह साधना किसी भी नवरात्रि से या किसी भी माह कि अष्टमी से शुरु किया जा सकता है । प्रातः उठकर स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर आसन बिछा कर पूर्व की मुंह कर बैठ जाय और सामने गुरु चित्र एवं भगवती दुर्गा चित्र स्थापित कर दे, फिर पात्र मे दुर्गा यंत्र रख कर उसे जल से स्नान करा कर, पोछ कर अलग पात्र मे स्तापित कर दे उस पर कुंकुम अक्षत पुष्प चढावे घी का दीपक व अगरबत्ती लगा देँ और फिर सिद्ध "कुंजिकास्त्रोत्र" का नित्य 108 पाठ 21 दिन तक करेँ । फिर 21 वाँ दिन पाठ कर किसी 1, 3, 5 या 9 कुमारी कन्याओ को भोजन करवे और यथोचित वस्त्र दक्षिणा आदि दे ।
ऐसा करने से साधना सम्पन्न होतो-होते साधक की मनोकामना पूर्ण होती है ।
इसमे महामृत्युंज्य , गणेश , महाकाली ,ज्वाला देवी ,रुद्र शक्ति , प्रकृति दस महाविद्याएं , जृम्भनी इत्यादि । भैरवी , खेचरी से लेकर पार्वती का भी इस स्तोत्र के द्वारा जागरण सम्पन्न हो जाता है । स्तम्भन , मारण , मोहन , शत्रुनाश , सिद्धि , प्राप्ति , विजय प्राप्ति , ज्ञान प्राप्ति अर्थात सभी क्षेत्रो मे प्रवेश की यह महाकुंजी है ।
प्रतिदिन प्रातःकाल सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् का पाठ कराने से सभी प्रकार के विघ्न – बाधा नष्ट हो जाते हैं व परम सिद्धि प्राप्त होती है| इसके पाठ से काम – क्रोध का मारण, इष्टदेव का मोहन, मन का वशीकरण, इन्द्रियों की विषय – वासनाओं का स्तम्भन और मोक्ष प्राप्ति हेतु उच्चाटन आदि कार्य सफल होते हैं|
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे || ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ||
नमस्ते रूद्ररुपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि |
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि || १ ||
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि || २ ||
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे |
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका || ३ ||

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते |
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी || ४ ||

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि || ५ ||
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी |
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु || ६ ||
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी |
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः || ७ ||
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा |
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा || ८ ||

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्र सिद्धं कुरुष्व मे || ९ | 




किसीपंडित से या गुरु से मार्गदर्शन अवस्य ही प्राप्त करे और फिर साधना में आये
साधना में हानी लाभ के स्वयं उत्तर दाई हे अपनी जिम्मेदारी पर ही करे ।




सुनील भगत

 

 

नवरात्री में क्यों विशेष है कन्या पूजन ?


नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है । अष्टमी व नवमी तिथि के दिन 3 से 9 वर्ष की कन्याओं का पूजन किए जाने की परंपरा है । मान्यता के अनुसार, कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती है । एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन की अर्चना से धर्म, अर्थ व काम, चार की पूजा से राज्यपद, पांच की पूजा से विद्या, छ: की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि, सात की पूजा से राज्य, आठ की पूजा से संपदा और नौ की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है । कन्या पूजन की विधि इस प्रकार है -
पूजन विधि
कन्या पूजन में 3 से लेकर 9 साल तक की कन्याओं का ही पूजन करना चाहिए । इससे कम या ज्यादा उम्र वाली कन्याओं का पूजन वर्जित है । अपनी इच्छा के अनुसार, नौ दिनों तक अथवा नवरात्र के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करें । कन्याओं को आसन पर एक पंक्ति में बैठाएं ।
ऊँ कौमार्यै नम: मंत्र से कन्याओं का पंचोपचार पूजन करें । पंचोपचार गन्ध, पुष्प, धूप, दीप एवं नैवेद्य- इनको पंचोपचार कहते हैं । बाद में उन्हें रुचि के अनुसार भोजन कराएं । भोजन में मीठा अवश्य हो, इस बात का ध्यान रखें । भोजन के बाद कन्याओं के पैर धुलाकर विधिवत कुमकुम से तिलक करें तथा दक्षिणा देकर हाथ में फूल लेकर यह प्रार्थना करें-
मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम् ।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम् ।।
जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि ।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते ।।
तब वह फूल कन्या के चरणों में अर्पण कर उन्हें ससम्मान विदा करें ।

सुनील भगत

सिद्धिदात्री - शक्ति का अंतिम स्वरूप

दुर्गा मां जगत के कल्याण हेतु नौ रूपों में प्रकट हुई और इन रूपों में अंतिम रूप देवी सिद्धिदात्री का है । नवमी के दिन सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है । देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था और मां सिद्धिदात्री की अनुकम्पा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था । इसी कारण वह संसार में अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए । दुर्गा पूजा में इस तिथि को विशेष हवन किया जाता है । मान्यता के अनुसार हवन से पूर्व सभी देवी - देवताओं की पूजा की जाती है और हवन करते समय सभी देवी-देवताओं के नाम से आहुति दी जाती है । तत्पश्चात मां के नौ रूपों के नाम से आहुति दी जाती है । देवी सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत सौम्य है । माता सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं । इनका वाहन सिंह है । मां कमल आसन पर विराजमान रहती हैं । इनकी दाहिनी नीचे वाली भुजा में चक्र, ऊपर वाली भुजा में गदा और बांयी तरफ नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है। देवी ने सिद्धिदात्री का यह रूप भक्तों पर अनुकम्पा बरसाने के लिए धारण किया है। देवी जी की भक्ति जो भी सच्चे मन से करता है मां उसी पर अपना स्नेह लुटाती हैं । भगवती सिद्धिदात्री का ध्यान, स्रोत और कवच का पाठ करने से निर्वाण चक्र जागृत होता है, जिससे सिद्धि-ऋद्धि की प्राप्ति होती है ।

सुनील भगत

महागौरी - मां शक्ति का आठवां स्वरूप

शंख और चन्द्र के समान अत्यंत श्वेत वर्ण धारी महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरुप हैं । नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरा की पूजा की जाती है । यह शिव जी की अर्धांगिनी है । कठोर तपस्या के बाद देवी ने भगवान शिव को अपने पति के रुप में प्राप्त किया था । देवी महागौरा का शरीर बहुत गोरा है । महागौरा के वस्त्र और अभुषण श्वेत होने के कारण उन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है । महागौरा की चार भुजाएं है जिनमें से उनके दो हाथों में डमरु और त्रिशुल है तथ...ा अन्य दो हाथ अभय और वर मुद्रा में है । माता का वाहन गाय है । मान्यता के अनुसार भगवान शिव को पाने के लिए किये गए अपने कठोर तप के कारण मां पार्वती का रंग काला और शरीर क्षीण हो गया था, तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने मां पार्वती का शरीर गंगाजल से धोया तो वह विद्युत प्रभा के समान गौर हो गया । इसी कारण मां को महागौरी के नाम से पूजते हैं । अष्टमी के दिन महिलायें अपने सुहाग के कल्याण के लिए मां गौरी को चुनरी भेंट करती है । कंजको का पूजन किया जाता है । देवी महागौरी का ध्यान, स्रोत पाठ और कवच का पाठ करने से 'सोमचक्र' जाग्रत होता है जिससे संकट से मुक्ति मिलती है और धन, सम्पत्ति और श्री की वृद्धि होती है ।

सुनील भगत

सोमवार, 19 अक्टूबर 2015

कालरात्री - मां शक्ति का सांतवा स्वरूप

मां शक्ति का सातवां स्वरूप कालरात्रि है । दुर्गा सप्तशती में बताया गया है कि जब देवी ने इस सृष्टि का निर्माण शुरू किया और ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का प्रकटीकरण हुआ उससे पहले देवी ने अपने स्वरूप से तीन महादेवीयों को भी उत्पन्न किया । सर्वेश्वरी महालक्ष्मी ने ब्रह्मांड को अंधकारमय और तामसी गुणों से भरा हुआ देखकर सबसे पहले तमसी रूप में जिस देवी को उत्पन्न किया वह देवी ही कालरात्रि हैं । देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है इनके बाल बिखरे हुए हैं तथा इनके गले में विधुत की माला है । इनके चार हाथ है जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार तथा एक हाथ में लोहे कांटा धारण किया हुआ है । इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है । इनके तीन नेत्र है तथा इनके श्वास से अग्नि निकलती है । कालरात्रि का वाहन गर्दभ अर्थात गधा है । मान्यता के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था । इससे चिंतित होकर सभी देवता भगवान शिव के पास गए । भगवान शिव ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा । शिव जी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया तथा शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया । परंतु जैसे ही दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए । इसे देख दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया । इसके बाद जब दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया और इस तरह से असूरों का नाश हुआ ।


 सुनील भगत

कात्यायनी - मां शक्ति का छठा स्वरूप

आज नवरात्र का छठा दिन है । शास्त्रों के अनुसार षष्ठी तिथि की देवी मां कात्यायनी है कात्य गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती की उपासना की । उनकी इच्छा थी कि मां शक्ति उन्हें पुत्री के रूप में प्राप्त हो । मां शक्ति ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया । इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाईं । मां के सभी रुपों में से यही वो रुप है जिसने महिषासुर का वध किया था । इसलिए देवी कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है । मां कात्यायनी का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला और दिव्य है । माता का प्रिय वाहन सिंह है । कात्यायनी माता अपनी चार भुजाओं से भक्तों को वरदान देती हैं । इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है । दूसरा हाथ वरदमुद्रा में अन्य हाथों में तलवार तथा कमल का फूल सुशोभित है । मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी । यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी और इसलिए कात्यायनी माता का व्रत और उनकी पूजा करने से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधा दूर होती है । कुण्डलिनी जगरण के लिए जो साधक नवरात्र में साधना करते हैं वह षष्ठी तिथि को आज्ञाचक्र में अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं । माता कात्यायनी को खुश करने का सबसे आसान तरीका दुर्गा सप्तशती के अनुसार मां कात्यायनी ने देवताओं की प्रार्थना सुनकर महिषासुर से युद्ध किया । महिसासुर से युद्ध करते हुए मां जब थक गई तब उन्होंने शहद युक्त पान खाया । शहद युक्त पान खाने से मां कात्यायनी की थकान दूर हो गयी और माता ने पल भर में महिषासुर का वध कर दिया । इसलिए मां कात्यायनी पूजा में शहद युक्त पान अर्पित करना चाहिए ।


सुनील भगत 

शनिवार, 17 अक्टूबर 2015

मंत्र दीक्षा : एक सामान्य विवेचन

किसी भी साधना को करने से पहले दीक्षा ले लेना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है ? यह एक सामान्य प्रश्न है जो हर किसी के दिल में उठता है . एक अच्छे गुरुदेव के सानिध्य में मिले अपने अल्प ज्ञान के द्वारा थोडा सा प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ :-

  • साधना से शारीर में उर्जा [एनर्जी फील्ड ] उठती है इसको नियंत्रित रखना जरुरी होता है.
  • जब साधनात्मक उर्जा अनियंत्रित होती है तो वह अनियंत्रित उर्जा दो तरह से बह सकती है प्रथम तो वासना के रूप में दूसरी क्रोध के रूप में, ये दोनों ही प्रवाह साधक को दुष्कर्म के लिए प्रेरित करते हैं.इसे नियंत्रित करने का काम गुरु करता है.
  • गुरु दीक्षा के द्वारा गुरु अपने शिष्य के साथ एक लिंक जोड़ देता है . जब भी साधनात्मक उर्जा बढ़ कर साधक के लिए परेशानी का कारन बन्ने की संभावना होती है तब गुरु उस उर्जा को नियंत्रित करने का काम करता है और शिष्य सुरक्षित रहता है.

  • हर मंत्र अपने आप में एक विशेष प्रकार का एनर्जी फील्ड पैदा करता है. यह फील्ड साधक के शारीर के इर्दगिर्द घूमता है.
  • हर मंत्र हर साधक के लिए अनुकूल नहीं होता , यदि वह अनुकूल मंत्र का जाप करता है तो उसे लाभ मिलता है अन्यथा हानि भी हो सकती है.
  • गुरु एक ऐसा व्यक्ति होता है जो विभिन्न साधनों में सिद्धहस्त होता है, उसे यह पता होता है की किस साधना का एनर्जी फील्ड किस साधक के अनुकूल होगा . इस बात को ध्यान में रखकर गुरु मंत्र अपने शिष्य को प्रदान करता है.

सुनील भगत

स्कंदमाता - देवी का पांचवा स्वरूप

नवरात्र के पांचवे दिन मां दुर्गा के पांचवे स्वरुप भगवान स्कन्द की माता अर्थात "मां स्कंदमाता" की उपासना की जाती है । कुमार कार्तिकेय को ही "भगवान स्कंद" के नाम से जाना जाता है । कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति मना जाता है और स्कंदमाता को अपना नाम अपने पुत्र के साथ जोड़ना बहुत अच्छा लगता है । इसलिए इन्हें स्नेह और ममता की देवी माना जाता है । स्कंदमाता का रूप अत्यंत सुंदर है । यह दायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं । नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है । बायीं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है । इनका वर्ण एकदम शुभ्र है । यह कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है । लेकिन माता का वाहन सिंह है । मां शक्ति के कई नाम है, पौराणिक कथाओं की मानें तो भगवती स्कंदमाता ही पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती हैं । भगवान शिव के महादेव नाम से ये महादेवी और अपने गौर वर्ण के कारण मां गौरी नाम से भी जानी जाती हैं । मां स्कंदमाता की उपासना से भक्त की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं । सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है। इस मृत्युलोक में ही उसे परम शांति और सुख का अनुभव होने लगता है । ये विशेषता केवल इन्हीं को प्राप्त है कि स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना भी स्वमेव हो जाती है ।

सुनील भगत