सोमवार, 19 अक्तूबर 2015

कात्यायनी - मां शक्ति का छठा स्वरूप

आज नवरात्र का छठा दिन है । शास्त्रों के अनुसार षष्ठी तिथि की देवी मां कात्यायनी है कात्य गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती की उपासना की । उनकी इच्छा थी कि मां शक्ति उन्हें पुत्री के रूप में प्राप्त हो । मां शक्ति ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया । इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाईं । मां के सभी रुपों में से यही वो रुप है जिसने महिषासुर का वध किया था । इसलिए देवी कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है । मां कात्यायनी का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला और दिव्य है । माता का प्रिय वाहन सिंह है । कात्यायनी माता अपनी चार भुजाओं से भक्तों को वरदान देती हैं । इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है । दूसरा हाथ वरदमुद्रा में अन्य हाथों में तलवार तथा कमल का फूल सुशोभित है । मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी । यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी और इसलिए कात्यायनी माता का व्रत और उनकी पूजा करने से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधा दूर होती है । कुण्डलिनी जगरण के लिए जो साधक नवरात्र में साधना करते हैं वह षष्ठी तिथि को आज्ञाचक्र में अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं । माता कात्यायनी को खुश करने का सबसे आसान तरीका दुर्गा सप्तशती के अनुसार मां कात्यायनी ने देवताओं की प्रार्थना सुनकर महिषासुर से युद्ध किया । महिसासुर से युद्ध करते हुए मां जब थक गई तब उन्होंने शहद युक्त पान खाया । शहद युक्त पान खाने से मां कात्यायनी की थकान दूर हो गयी और माता ने पल भर में महिषासुर का वध कर दिया । इसलिए मां कात्यायनी पूजा में शहद युक्त पान अर्पित करना चाहिए ।


सुनील भगत 

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