शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2015

शिव-पार्वती के विवाह में हुई थी गणेश पूजा

शिव-पार्वती के विवाह में हुई थी गणेश पूजा
शिव-पार्वती के पुत्र गणेश के जन्म से जुड़ी कई कहांनियां है ...वहीं कुछ विद्वान इस असमंजस में भी है कि आखिर शिव-पार्वती के विवाह के समय गणेश की पूजा होना कैसे संभव है ?
इस शंका का समाधान गोस्वामी तुलसीदास निम्नलिखित दोहे में करते हैं-
मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभू भवानि ।
कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि ।
अर्थात विवाह के समय ब्रह्मवेत्ता मुनियों के निर्देश पर शिव-पार्वती ने महागणपति की पूजा संपन्न की । कोई व्यक्ति संशय न करें क्योंकि देवता अनादि होते हैं ।
पुराणों में ये कहा गया है कि भगवान गणेश किसी के पुत्र नहीं है बल्कि वह वैदिक देवता है ।इनका नाम वेदों में गणेश न होकर‘गणपति’या ‘ब्रह्मणस्पति’है।
जो वेदों में ब्रह्मणस्पति के नाम से अनेक सूत्रों में अभिहित हैं उन्हीं देवता का नाम पुराणों में गणेश है। ऋग्वेद एवं यजुर्वेद के मंत्रों में गणेश जी के उपर्युक्त नाम देखे जा सकते हैं।
पौराणिक विवरण के अनुसार भगवान शिव ने महागणपति की आराधना की और उनसे वरदान प्राप्त किया कि आप मेरे पुत्र के रूप में अवतार लें। इसलिए भगवान महागणपति गणेश के रूप में शिव-पार्वती के पुत्र होकर अवतरित हुए।


सुनील भगत

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