शनिवार, 10 अक्तूबर 2015

नवरात्री में देवी दुर्गा का आगमन और प्रस्थान

दिनशशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।
गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥
गजेश जलदा देवी क्षत्रभंग तुरंगमे।
नौकायां कार्यसिद्धिस्यात् दोलायों मरणधु्रवम्॥



रविवार और सोमवार को भगवती हाथी पर आती हैं, शनि और मंगल वार को घोड़े पर,
बृहस्पति और शुक्रवार को डोला पर, बुधवार को नाव पर आती हैं।
दुर्गा हाथी पर आने से अच्छी वर्षा होती है, घोड़े पर आने से राजाओं में युद्ध होता है।
नाव पर आने से सब कार्यों में सिद्ध मिलती है और यदि डोले पर आती है तो उस वर्ष में अनेक कारणों से बहुत लोगों की मृत्यु होती है।


शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा,
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा,
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥



भगवती रविवार और सोमवार को महिषा (भैंसा) की सवारी से जाती है
जिससे देश में रोग और शोक की वृद्धि होती है।
शनि और मंगल को चरणायुध पर जाती हैं जिससे विकलता की वृद्धि होती है।
बुध और शुक्र दिन में भगवती हाथी पर जाती हैं। इससे वृष्टि (बारिश) वृद्धि होती है।
बृहस्पति वार को भगवती मनुष्य की सवारी से जाती हैं। जो सुख और सौख्य की वृद्धि करती है।

सुनील भगत

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