सबसे महत्त्वपूर्ण पूजा, मानसिक की होती है। इसमें सभी कुछ की मानसिक कल्पना ही की जाती है। देविया देवता का स्वरुप भी कल्पना में ही स्थापित किया जाता है।
पूजा सामाग्री, विधि, माला आदि सब काल्पनिक होते है; पर वस्त्र , आसन , रंग , दिशा , समयकाल का ध्यान रखना साधको के लिए आवश्यक समझा जाता है। सिद्ध-साधकों के लिए इसका भी कोई नियम नहीं है। वह शौच करते समय भी अपना पूजा कर सकता है।
तंत्र के गुप्त क्षेत्र में सबसे महत्त्वपूर्ण यही पूजा है। भौतिक पूजा गृहस्थों के लिए है , साधको के लिए नहीं।
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सुनील भगत
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