गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

चक्र क्या हैं ?

चक्र, कुंडलिनी तंत्र की मध्यनाडी अर्थात सुषुम्ना नाडी पर स्थित ऊर्जाकेंद्र हैं । सुषुम्ना नाडी पर मुख्यतः सात कुंडलिनी चक्र होते हैं । ये चक्र शरीर के विभिन्न अंगों तथा मन एवं बुद्धि के कार्य को सूक्ष्म-ऊर्जा प्रदान करते हैं । प्रधानरूप से ये व्यक्ति की सूक्ष्मदेह से संबंधित होते हैं । ऊपर से नीचे की दिशा में ये चक्र इस प्रकार हैं :
क्रमांक
कुंडलिनी चक्र का संस्कृत नाम
कुंडलिनी चक्र का पश्चिमी नाम
सहस्रार-चक्र
Crown chakra
आज्ञा-चक्र
Brow chakra
विशुद्ध-चक्र
Throat chakra
अनाहत-चक्र
Heart chakra
मणिपुर-चक्र
Navel chakra
स्वाधिष्ठान-चक्र
Sacral chakra
मूलाधार-चक्र
Root chakra
विभिन्न चक्रों के स्थान नीचे आकृति के रूप में दर्शाए हैं ।
HIN-Chakras
ब्रह्मरंध्र सहस्रार चक्र के ऊपर स्थित सूक्ष्म-द्वार है, जहां से ईश्वरीय शक्ति ग्रहण की जाती है । ब्रह्मरंध्र से कुंडलिनी के निकलने का अर्थ है आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नत (संत-महात्मा) द्वारा ईश्वर से एकरूप हो जाना । इसी द्वार से आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नत (संत-महात्मा) देहत्याग के समय शरीर छोडते हैं ।

कोई टिप्पणी नहीं: